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श्रद्धांजलिया
गत १५ वर्षों से श्री छोटेलालजी से मेरा निकट सम्पर्क रहा था। उनकी विचारधारा कार्यशैली एवं दूरदर्शी निर्णयों से में प्रभावित रहा है। पापके व्यक्तित्व में एक अलौकिक एवं बेजोड़ प्रतिभा का प्रभास मिलता था । श्रापकी निर्भय एवं स्पष्ट मनोवृत्ति का दिग्दर्शन आपके द्वारा अनुप्राणित उन कतिपय सामाजिक समारोहों से होता है जिनमे आपने अपनी मौलिक विचारधाराओं के आधार पर, व्याप्त कुरीतियों के उन्मूलन हेतु अनेक कार्यक्रम अपनाए थे। सामाजिक संगठन तवं सामूहिक कार्यप्रणाली में प्रारम्भ से ही ग्रापका अटल विश्वास था एवं आपने अपने जीवन में ऐसे अनेक कार्य किये थे जिनगे जैन समाज में पारस्परिक प्रेम एवं सद्भावना की अभिवृद्धि हुई है। आपका दृष्टिकोण सदा ही सुधारवादी एवं सामंजस्य युक्त था। प्रापको सौम्य प्रकृति ने तो समाज के प्रत्येक सदस्य के हृदय में आपके प्रति अभूतपूर्व श्रद्धा उत्पन्न कर दी थी। श्रापके मानस में मैन केवल समाज प्रेम ही नहीं वरन् मानव मात्र के प्रति सराहनीय स्नेह का धनुभव किया है। कई सामाजिक संस्थाओं की व्यवस्था आपके संचालन में सुचारु रूप से चल रही थी । ऐसे कर्मठ कार्यकर्ता के निधन से देश और समाज की महान क्षति हुई है।
मिश्रीलाल जैन
में श्रीमान् बालानजीको ४० वर्षों से जानता हूँ। बाबूजी के निकट श्राने का जिन्हें भी अवसर मिल सका है वे उनकी विद्वत्ता और सौजन्य से प्रभावित हुए बिना न रह सके। उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व से कौन ऐसा है जो प्रभावित श्रीर चमत्कृत न हुआ हो। श्राप जैन समाज के उन रत्नों में से थे जिनका प्रकाश वर्तमान में ही नहीं
वरन् भविष्य में भी सदैव समाज के नवयुवक कार्यकर्ताओं का पथ प्रदर्शन करता रहेगा।
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बाबूजी गत ५० वर्षों से देश समाज एवं साहित्य की सेवा में संलग्न थे पुरातत्त्व सम्बन्धी प्रापका अध्ययन तथा प्रनुभव बड़ा गहरा था। भारत के भिन्न-भिन्न प्रदेशों में भ्रमण करके प्रापने वहाँ से अनेक महत्त्वपूर्ण जैन पुरातत्त्व की सामग्री को खोज निकाला था। आप खासकर देश-विदेश के जंनंतर विद्वानों को जैन साहित्य पर शोधकार्य में बराबर सहयोग देते रहते थे। आप एक दानीपरोपकारी एवं कर्मठ कार्यकर्ता थे ।
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कई अवसरों पर आपने उपकार पाने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है। मुझ पर आपकी बडी कृपा थी। आप अपने पत्र मे सदा मुझे 'प्रमबन्धु' शब्द से ही संबोधित करते रहते थे । यद्यपि आपका स्वास्थ्य हमेशा खराब रहता था तो भी पाप उत्साह और लगन के साथ समाज, देश एवं साहित्य की सेवा में व्यस्त रहते थे मेरी हार्दिक शुभ भावना है कि प्रापका सफल तथा प्रदर्श जीवन सदैव ही लोगों को अपना जीवन मानव सेवा में व्यतीत करने की प्रेरणा देता रहे।
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के० भुजवती शास्त्री सं० गुरुदेव' मूडबद्री (मंसूर )
३० जनवरी ६६ को प्रातः ग्रहमा प्रचार समिति हाल में थी जैन सभा के तत्वावधान में श्री लक्ष्मीचन्दजी जैन की प्रत्यक्षता में समस्त जन समाज की ओर से एक शोक सभा का प्रायोजन कर जैन समाज के नेता श्री छोटेलाल जी जैन की दिवंगत धारमा के प्रति निम्न प्रस्ताव द्वारा श्रद्धां जलियां अर्पित की गई