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सम्यग्ज्ञानन्तिका भावाटीका ]
[६८१ काय के जीव है, तहा असंख्यात पावली का वर्ग प्रमाण जीवनि के शरीरनि का एक स्कंध है। तहा गुणितकांश कहिए, जिनके कर्म का संचय बहुत है, असे जीव बहुत भी होइ तौ आवली का असंख्यातवां भागमात्र होइ, तिनिका विस्रसोपचय सहित औदारिक, तैजस, कार्माण इनि तीनि शरीरनि का जो एक स्कंध, सो उत्कृष्ट प्रत्येक शरीर वर्गणा है । बहुरि ताके ऊपरि ध्रुव शून्य वर्गणा है। तहां उत्कृष्ट प्रत्येक शरीर वर्गणा ते एक परमाणू अधिक भएं जघन्य भेद हो है । इस जघन्य को सब मिथ्यादृष्टी जीवनि का जो प्रमाण, ताकी असंख्यात. लोक का भाग दीए, जो प्रमाण आवै, तीहि करि गुरणे, उत्कृष्ट भेद हो है। बहुरि ताके अपरि बादर निगोद वर्गणा है, सो बादर निगोदिया जीवनि का विस्रसोपचय सहित कर्म नोकर्म परिमाणूनि का जो एक स्कंध, ताकौं बादर निगोद वर्गणा कहिए है । सो ध्रुवशून्य वर्गणा ते एक परमाणू अधिक जघन्य बादरनिगोदवर्गणा है । सो कहां पाइए है ? सो कहै है
क्षय कोएं हैं कर्म अंश जाने, जैसा कोई क्षपितकर्मांश जीव, सो कोडि पूर्व वर्ष प्रमाण आयु का धारी मनुष्य होइ, गर्भ ते अंतर्मुहूर्त अधिक आठ वर्ष के ऊपरि सम्यक्त्व अर संयम को युगपत अंगीकार करि, किछू घाटि कोडि पूर्ववर्ष पर्यंत कर्मनि की गुणश्रेणी निर्जराको करत संता जब अंतर्मुहर्त सिद्धपद पावने का रह्या, तब क्षपक श्रेणी चढि उत्कृष्ट कर्मनिर्जरा को करत संता क्षीणकषाय गुणस्थानवर्ती भया, तिसके शरीर विष जघन्य वा उत्कृष्ट आवली का असंख्यातवां भाग प्रमाण पुलवी एक बंधनरूप बधे पाइए है, जातै सर्व स्कंधनि विर्षे पुलवी असंख्यात लोक प्रमाण कहे है । बहुरि एक एक पुलवी विष असंख्यात लोक प्रमाण शरीर पाइए है । बहुरि एक एक शरीर विष सिद्धनि ते अनंतगुणे ससारी राशि के असंख्यातवे भागमात्र जीव पाइए है । सो आवली का असंख्यातवां भाग को असंख्यात लोक करि गुण, तहा शरीरनि का प्रमाण भया । ताको एक शरीर विष निगोद जीवनि का जो प्रमाण, ताकरि गुणे, जो प्रमाण भया, तितना तहा एक स्कंध विर्ष बादर निगोद जीवनि का प्रमाण जानना । तिनि जीवनि के क्षीणकषाय गुणस्थान का पहिला समय विप अनन्त जीव स्वयमेव अपना आयु का नाश तै मरे है। बहुरि दूसरे समय जेते पहिले समय मरे, तिनिको प्रावली का असंख्यातवा भाग का भाग दीएं, जो प्रमाण आवै, तितने पहिले समय मरे जीवनि ते अधिक मरै है । इस ही अनुक्रम ते क्षीणकपाय का प्रथम समय तै लगाइ, पृथक्त्व आवली का प्रमाण काल पर्यंत मरै है। पीछे पूर्व पूर्व समय संवधी मरे जीवनि के प्रमाण को आवली का संख्यातवां भाग का भाग दीए, जो प्रमाण होइ