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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटोका |
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प्रश्न-तहां कृष्ण लेश्यावाले स्वस्थानस्वस्थान, वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणांतिकसमुद्घात, उपपाद इनि विषे प्रवर्तते जीव कितने क्षेत्रविषे तिष्ठे है ?
तहां उत्तर - जो सामान्याद्रिक पांच प्रकार सर्वलोक विषै तिष्ठे है । बहुरि विहारवत् स्वस्थान विषै प्रवर्तते जीव, सामान्यलोक - अधोलोक - ऊर्ध्वलोक का तौ संख्यातवां भाग प्रमाण क्षेत्र विषै तिष्ठे हैं । अर तिर्यक्लोक ऊंचा लाख योजन प्रमाण है । अर एक जीव की उंचाई, वाके संख्यातवे भाग प्रमाण है । तातं तिर्यक् लोक के सख्यातवें भाग प्रमाण क्षेत्र विषं तिष्ठे हैं । अर मानुषोत्तर पर्वत के मध्यवर्ती जो मनुष्य लोक तातै असंख्यात गुणा क्षेत्र विषे तिष्ठे हैं । बहुरि वैक्रियिक समुद्घात विष प्रवर्तते जीव, सामान्यादिक च्यारि लोक, तिनके असंख्यातवां भाग प्रमाण क्षेत्र विषै तिष्ठे है । अर मनुष्य लोक ते असंख्यात गुणा क्षेत्र विषे तिष्ठं है; जातं वैक्रियिक समुद्घातवालों का क्षेत्र असंख्यात गुणा घनांगुल का वर्ग करि गुणित जगच्छ्रेगीमात्र हैं । जैसे सात स्थाननि विषै व्याख्यान कीया ।
बहुरि तैजस समुद्घात, आहारक समुद्घात, केवली समुद्घात इन लेश्यावाल जीवति कैं होता नाहीं, तातें, इनिका कथन न कीया ।
इसप्रकार जैसे कृष्णलेश्या का व्याख्यान कीया; तैसे ही नीललेश्या, कपोतलेश्या का व्याख्यान जानना । विशेष इतनां जहां कृष्णलेश्या का नाम कह्या है; तहां नीललेश्या वा कपोतलेश्या का नाम लेना । अब तेजो लेश्या का क्षेत्र कहिए है
तहां प्रथम ही जीवन का प्रमाण कहिए है - तेजोलेश्यावाले जीवनि का संख्या अधिकार विषै जो प्रमाण कुह्या, ताकों संख्यात का भाग दीजिए, तहा बहुभाग स्वस्थानस्वस्थान विषै जानना । एक भाग रह्या, ताकौ सख्यात का भाग दीजिए, तहां बहुभाग विहारवत् स्वस्थान विषै जानना । बहुरि जो एक भाग रह्या, ताको संख्यात का भाग दीजिए, तहां बहुभाग वेदना समुद्घात विषै जानना । बहुरि जो एक भाग रह्या, ताक संख्यात का भाग दीजिए, तहा बहुभाग वेदना समुद्धात विष जानना | बहुरि जो एक भाग रह्या, ताकों संख्यात का भाग दीजिए, तहा बहुभाग कषाय समुद्घात विषै जानना । बहुरि एक भाग वैक्रियिक समुद्घात विषै जानना । असे जीवनि का परिमाण कह्या । अब तेजो लेश्या मुख्यपनं भवनत्रिक यादि देवन के पाइए है; तिनिविषे एक देव का शरीर का अवगाहना का प्रमाण मुल्यता