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[ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाया ५४३ ___कृष्ण लेश्यावाले पर्याप्त त्रस जीवनि का जो प्रमाण, पर्याप्त बस राशि के किचिन त्रिभाग मात्र है । ताक़ौ सख्यात का भाग दीजिए, तहां बहुभाग प्रमाण स्वस्थानस्वस्थान विष है। अवशेष एक भाग-रह्या, ताकौं संख्यात का भाग दीजिए, तहा बहुभाग प्रमाण, विहारवत्स्वस्थान विषै जीव जातने । अवशेष एक भाग रह्या, सो अवशेष यथायोग्य स्थान विष जानना । अब इहा त्रस पर्याप्त जीवनि की जघन्य, मध्यम अवगाहना अनेक प्रकार है; सो हीनाधिक बरोबरि करि संख्यात धनांगुल प्रमाण मध्यम अवगाहना मात्र एक जीव की.अवगाहना का ग्रहण कीया, सो इस अवगाहना का प्रमाण को फलराशि करिए, पूर्व जो विहारवत्स्वस्थान जीवनि का प्रमाण कह्या, ताक़ौ इच्छाराशि करिए, एक जीव.कौं प्रमाणराशि करिए, तहां फलकरि इच्छा को गुणि, प्रमाण का भाग दीए, जो संख्यात सूच्यंगुलकरि गुण्या हूवा, जगत्प्रतर प्रमाण भया, सो विहारवत् स्वस्थान विष क्षेत्र जानना । बहुरि वैक्रियिक समुद्घात विष क्षेत्र धनांगुल का वर्ग करि असख्यात जगच्छ रणी को गुणै, जो प्रमाण होइ, तितना जानना । कसै ? सो कहिए है - .
कृष्ण लेश्यावाले वैक्रियिक शक्ति करि युक्त जीवनि का जो प्रमाण वैक्नियिक योगी जीवनि का किचिन त्रिभाग मात्र है । ताको संख्यात का भाग दीजिए, तहां बहुभाग प्रमाण स्वस्थानस्वस्थान. विष जीव है। अवशेष एक भाग रह्या, ताकी सख्यात का भाग दीजिये, तहां बहुभाग प्रमाण विहारवत् स्वस्थान विष जीव हैं। अवशेष एक भाग रहया, ताको सख्यात का भाग दीजिए, तहा बहुभाग प्रमाण वेदना समुद्घात विष जीव है । अवशेष एक भाग-रह्या, ताकौ सख्यात का भाग दीजिए, तहा बहुभाग प्रमाण कषाय समुद्घात विष जीव, है । अवशेष एक भाग प्रमाणे वैक्रियिक समुद्घात विष जीव प्रवर्ते है.। जैसे जो वैक्रियिक समुद्घातवाले जीवनि का प्रमाण कहा, ताकौ हीनाधिक बरोबरि करि एक जीव सबंधी वैक्रियिक समुद्घात का क्षेत्र संख्यात धनागुल प्रमाण है; तिसकरि गुणै, जो घनांगुल का वर्ग करि गुण्या हवा असंख्यात श्रेणीमात्र प्रमाण भया, सो वैक्रियिक समुद्घात का क्षेत्र जानना । वहुरि इन ही का सामान्यलोक, अधोलोक, ऊर्ध्वलोक, तिर्यक्लोक, मनुष्यलोक इनि पंच लोकनि की अपेक्षा व्याख्यान कीजिए है -
___ समस्त जो लोक, सो सामान्यलोक है । मध्यलोक ते नीचें, सो अधोलोक है.। मध्यलोक के ऊपरि ऊर्वलोक है। मध्यलोक विषै एक राजू चौडा, लाख योजन ऊंचा तिर्यक्लोक है । पैतालीस लाख योजनः चौडा, लाख योजन ऊंचा मनुष्यलोक है ।