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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ]
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बहुरि पाचवा भेद विषै पाच को अंक और जोडे, सकलित धन पंद्रह होइ । से सव भेदनि विषै संकलित धन जानना । सो इस एक बार सकलित धन ल्यावने को करण सूत्र पर्याय समास श्रुतज्ञान का कथन करते का है; तिसते सकलित धन प्रमाण ल्यावना । इस संकलित धन का नाम गच्छ, धन वा पद धन भी कहिए | अब विवक्षित परमावधिज्ञान का पांचवां भेद ताका सकलित धन पद्रह, सो पद्रह जायगा आवली का असख्यातवां भाग मांडि, परस्पर गुणन कीए, जो परिमाण होइ, सोई पांचवां भेद विषै गुणकार जानना । इस गुणकार करि उत्कृष्ट देशावधि का क्षेत्र, लोकाकाश प्रमाण, ताको गुणिए, जो प्रमाण होइ, तितना परमावधि का पाचवा भेद का विषयभूत क्षेत्र का परिमारण जानना । अर इस ही गुणकार करि देशावधि का विषयभूत उत्कृष्ट काल, एक समय घाटि, एक पल्य प्रमाण, ताकौ गुणे, इस पांचवां भेद विषै काल का परिमाण होइ । जैसे सब भेदनि विषै क्षेत्र का वा काल का परिमाण जानना ।
आगे संकलित धन का जो प्रमाण कया था, ताकौ और प्रकार करि कहै है
गच्छसमा तक्कालियतीदे रूऊरागच्छधरणमेत्ता ।
उभये वि य गच्छस्स य, धरणमेत्ता होंति गुणगारा ॥४१८ ॥ गच्छसमाः तात्कालिकातीते रूपोनगच्छधनमात्राः ।
उभयेऽपि च गच्छस्य च धनमात्रा भवंति गुणकाराः ||४१८ ||
टोका - जेथवां भेद विवक्षित होई, तीहि प्रमाण कौ गच्छ कहिए | जैसे चौथा भेद विवक्षित होइ, तौ गच्छ का प्रमाण च्यारि कहिए । सो गच्छ के समान धन अर गच्छ तै तत्काल अतीत भया, असा विवक्षित भेद ते पहिला भेद, तहा विच क्षित गच्छ ते एक घाटि का गच्छ धन जो सकलित धन, इनि दोऊनि को मिलाइए, तब गच्छ का संकलित धन प्रमाण गुणकार होइ ।
इहा उदाहरण कहिए जैसे विवक्षित भेद चौथा, सो गच्छ का प्रमाण भी च्यारि, सो च्यारि तौ ए अर तत्काल अतीत भया तीसरा भेद, ताका गच्छ धन छह, इन दोऊनि को मिलाए, दश हूवा । सोई दश विवक्षित गच्छ च्यारि, ताका नकलिन धन हो है । सोई चौथा भेद विषे गुणकार पूर्वोक्त प्रकार जानना, अंस ही सर्व नंदनि विषै जानना