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________________ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटोका ] [ ५०० जानने । जलगता पद (२०६८६२००), स्थलगता २०६८९२००, मायागता २०६८६२००, आकाशगता २०६८६२००, रूपगता २०६८६२०० असे पद जानने । बहुरि 'याजकनामेनाननं' कहिए एक कोडि इक्यासी लाख पाच हजार (१८१०५०००) पद चद्रप्रज्ञप्ति आदि पांच प्रकार परिकर्म का जोड दीये हो ह । बहुरि 'कानवधिवाचनाननं' कहिए दश कोडि गुणचास लाख छियालीस हजार (१०४६४६०००) पद पांच प्रकार चूलिका का जोड़ दीये हो हे । इहां ग कार ते तीन का अंक, त कार तै छह का अंक, म कार ते पाच का अंक, र कार ते दोय का अंक, न कार ते बिंदी, इत्यादि अक्षर सज्ञा करि अक संज्ञा कहे है । क कार ते लेय ग कार तीसरा अक्षर है; तातें तीन का अंक कह्या । बहुरि ट कार तै त कार छठा अक्षर है; तातै छह का अंक कह्या । प कार ने म कार पांचवां अक्षर है; तातें पांच का अंक कह्या । य कार ते र कार दूसरा अक्षर है; तातें दोय का अंक कह्या है । न कार ते विदी कही है । इत्यादि यहा अक्षर संज्ञा ते अंक जानने। पण्णठ्ठदाल पणतीस, तीस पण्णास पण्ण तेरसदं । णउदी दुदाल पुवे, पणवण्णा तेरससयाई ॥३६५॥ छस्सय पण्णासाइं, चउसयपण्णास छसयपणवीसा। बिहि लक्खेहि दु गुणिया, पंचम रूऊण छज्जुदा छठे ॥३६६।। पंचाशदष्टचत्वारिंशत् पंत्रिशत् त्रिंशत् पंचाशत् पंचाशत्त्रयोदशशतं । नवतिः द्वाचत्वारिंशत् पूर्वे पंचपंचाशत् त्रयोदशशतानि ॥३६॥ षट्छतपंचाशानि, चतुः शतपंचाशत् पढ़तपंचविंशतिः । द्वाभ्यां लक्षाभ्यां तु गुरिणतानि पंचमं रूपोनं पट्युतानि पहें ।। । टोका - उत्पाद ग्रादि चौदह पूर्वनि विप पदनि की नामा वस्तु का उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य, आदि अनेक धन, निसा पर, मी नामा प्रथम पूर्व है । इस विप जीवादि वस्तुनि नाना पार न ! युगपत् अनेक धर्म करि भये, जे उत्पाद, व्यय, प्राध, ने नीता र र ........
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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