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________________ ५०८ ] [ गोम्मटसार जोबकाण्ड गाथा ३६४ याजकनामेनाननमेदाणि पदाणि होंति परिकम्मे । कानवधिवाचनाननमेसो पुरण चूलियाजोगो ॥ ३६४॥ गतनम मनगं गोरम, मरगत जवगातनोननं जजलक्षाणि । मननन धममननोन नामं रनधजधरानन जलादिषु ॥ ३६३ ॥ याजकनामेनाननमेतानि पदानि भवंति परिकर्मणि । कानवधिवाचनाननमेषः पुनः चूलिकायोगः ॥ ३६४ ॥ टीका • इहां 'कटपयपुरस्थवर्णैः' इत्यादि सूत्रोक्त विधान ते अक्षर संज्ञा करि अंक कहैं है; सो अंकनि करि जो प्रमाण भया, सोई इहां कहिए हैं । एक एक अक्षर तै एक एक अक जानि लेना; सो 'गतनमनोननं' कहिये छत्तीस लाख पांच हजार (३६०५०००) पद चंद्रप्रज्ञप्ति विषै है | बहुरि 'मनगनोननं' कहिए पांच लाख तीन हजार ( ५०३००० ) पद सूर्यप्रज्ञप्ति विषै है । बहुरि 'गोरमनोननं' कहिये तीन लाख पचीस हजार (३२५०००) पद जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति विषै है | बहुरि 'मरगत नोननं' कहिये बावन लाख छत्तीस हजार (५२३६०००) पद द्वीपसागर प्रज्ञप्ति विषै है । बहुरि 'जवगातनोननं' कहिये चौरासी लाख छत्तीस हजार (८४३६००० ) पद व्याख्याप्रज्ञप्ति अंग के है । बहुरि 'जजलरका' कहिए अठ्यासी लाख ( ८८०००००) पद सूत्र नामा भेद विपै है । बहुरि मननन कहिए पांच हजार (५०००) पद प्रथमानुयोग विषै है । वहुरि धममननोननामं कहिए पिच्यारणवै कोड पचास लाख पांच (२५५०००००५) पद पूर्वगत विषै है । चौदह पूर्वनि के इतने पद है । वहुरि रनधजधरानन कहिए दोय कोडि नव लाख निवासी हजार दोय सै (२०६८ε२००) पद जलगता प्रादि चूलिका तिन विषै एक एक के इतने इतने पद
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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