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________________ सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटीका ] [, ३४५ इहा प्रसंग पाइ विकलत्रय विष बेद्री का बारा वर्ष, तेद्री का गुणचास दिन, चौद्री का छह महिना प्रमाण है। जैसे उत्कृष्ट आयु, बल का परिमाण कह्या । तीहि विष अंतर्मुहर्त काल विष तौ अपर्याप्त अवस्था है। अवशेष काल विषै पर्याप्त अवस्था है । तातै अपर्याप्त अवस्था का काल ते पर्याप्त अवस्था का काल सख्यातगुणा जानना। तहां पृथ्वी कायिक का पर्याप्त-अपर्याप्त दोऊ कालनि विष जो सर्व सूक्ष्म जीव पाइए तौ अंतर्मुहूर्त प्रमाण अपर्याप्त काल विषै केते पाइए ? असे प्रमाण राशि पर्याप्त-अपर्याप्त दोऊ कालनि के समयनि का समुदाय, फलराशि सूक्ष्म जीवनि का प्रमाण, इच्छाराशि अपर्याप्त काल का समयनि का प्रमाण, तहा फल करि इच्छा को गुरिण, प्रमाण का भाग दीएं, लब्धराशि का परिमाण आवै, तितने सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्त जीव जानने । बहुरि प्रमाण राशि, फलराशि, पूर्वोक्त इच्छाराशि पर्याप्त काल कीएं लब्धराशि का जो परिमाण आवै, तितने सूक्ष्म पृथ्वीकायिक पर्याप्त जीवनि का परिमारण जानना । ताही ते सख्यात का भाग दीए, एक भाग प्रमाण अपर्याप्त कहे । अवशेष (बहु) भाग प्रमाण पर्याप्त कहे है । जैसे ही सूक्ष्म अपकायिक, तेजकायिक, वातकायिक, साधारण वनस्पतिकायिक विषै अपनाअपना सर्व काल को प्रमाणराशि करि, अपने-अपने प्रमाण को फलराशि करि पर्याप्त वा अपर्याप्त काल को इच्छाराशि करि लब्धराशि प्रमाण पर्याप्त वा अपर्याप्त जीवनि का प्रमाण जानना। इहा पर्याप्त वा अपर्याप्त काल की अपेक्षा जीवनि का परिमाण सिद्ध हूवा है। पल्लासंखेज्जवहिद, पदरंगुलभाजिदे जगप्पदरे । । जलभूणिपवादरया, पुण्णा आवलिअसंखभजिदकमा ॥२०॥ पल्यासंख्यावहितप्रतरांगुलभाजिते जगत्प्रतरे । जलभूनिपवादरकाः, पूर्णा पावल्यसंख्यभाजितक्रमाः ॥२०९॥ टीका-पल्य के असख्यातवां भाग का भाग प्रतरागल को दोये, जो परिमाण आवै, ताका भाग जगत्प्रतर को दीए, जो परिमाण आवै, तितना बादर अपकायिक पर्याप्त जीवनि का प्रमाण जानना । बहुरि इस राशि को प्रावली का असख्यातवा भाग का भाग दीएं, जो परिमाण आवै, तितना बादर पृथ्वीकायिक पर्याप्त जीवनि का प्रमाण जानना । बहुरि इस राशि को भी आवलो का असख्यातवां भाग का भाग दीए, जो परिमाण आवै, तितना बादर प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पती पर्याप्त
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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