________________
३४४
[ गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा २०७-२०८ सगसगअसंखभागो, बादरकायारण होदि परिमाणं । सेसा सुहमपमाणं, पडिभागो पुचणिद्दिको ।।२०७॥ स्वकस्वकासंख्यभागो, बगदरकायानां भवति परिनारणम् ।
शेषाः सूक्ष्मप्रमाणं, प्रतिभागः पूर्वनिदिष्टः ॥ २०७ ।। टीका - पृथिवी, अप, तेज, वायु, साधारण वनस्पतीकायिकनि का जो पूर्वं परिमारण कह्या, तिस अपने-अपने परिमाण को असख्यात का भाग देना । तहां एक भाग प्रमाण तो अपना-अपना वादर कायकनि का प्रमाण है। अवशेप वहुभाग प्रमाण सूक्ष्म कायकनि का प्रमाण है । पृथ्वीकायिक के परिमारण को असंख्यात का भाग दीजिए। तहा एक भाग प्रमाण वादर पृथ्वीकायकनि का परिमारण है। अवशेष वहुभाग परिमाण सूक्ष्म पृथ्वीकायिकनि का परिमाण है । जैसे ही सव का जानना । इहां भी भागहार का परिमाण पूर्व कह्या था, असख्यात लोक प्रमाण सोई है । तातै इहा भी अग्निकायादिक विर्षे पूर्वोक्त प्रकार अधिक-अधिकपना जानना ।
सुहमेसु संखभाग, संखा भागा अपुण्णगा इदरा । जस्सि अपुग्णद्धादो, पुण्णद्धा संखगुणिदकमा ॥२०॥
सूक्ष्मेष संख्यभागः, संख्या भागा अपूर्णका इतरे । यस्मादपूर्णाद्धातः, पूर्णाद्धा सख्यगुरिणतत्रामाः ।।२०८॥
___टोका - पृथ्वी, अप, तेज, वायु, साधारण वनस्पती, इनिका पूर्व जो सूक्ष्म जीवनि का परिमाण कह्या, तीहि विपं अपने-अपने मूक्ष्म जीवनि का परिमारण को संस्थान का भाग दीजिए, तहा एक भाग प्रमाण ती अपर्याप्त है। बहुरि अवशेष बहुभाग प्रमाण पर्याप्त हैं। सूक्ष्म जीवनि विष अपर्याप्त राशि ते पर्याप्त राशि का प्रमाग बहुत जानना । सो कारण कहै है; जात अपर्याप्त अवस्था का काल अंतर्मुहूर्त मात्र है। इस काल तै पर्याप्त अवस्था का काल सख्यातगुणा है, सो दिखाइए है । कोमल पृथ्वीकायिक का उत्कृष्ट आयु वारह हजार वर्ष प्रमाण है। वहुरि कठिन पृथ्वी कायिक का वाईस हजार वर्प प्रमाण है। जलकायिक का सात हजार वर्ष प्रमाण है । तेजकायिक का तीन दिन प्रमाण है । वातकायिक का तीन हजार वर्ष प्रमाण है । वनस्पती कायिक का दश हजार वर्प प्रमाण है ।