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सम्येग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटोका ]
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गये केवलज्ञान का अष्टम वर्गमूल होइ । बहुरि यातै एक-एक स्थान गए क्रम तै केवलज्ञान का सप्तम, षष्ठम, पचम, चतुर्थ, तृतीय, द्वितीय, प्रथम वर्गमूल होइ ।
जो विवक्षित राशि का वर्गमूल होइ, ताकी प्रथम वर्गमूल कहिए । बहुरि उस प्रथम वर्गमूल का वर्गमूल कू द्वितीय वर्गमूल कहिए । बहुरि तिस द्वितीय वर्गमूल का भी वर्गमूल होइ, ताकौ तृतीय वर्गमूल कहिए । जैसे ही चतुर्थादिक वर्गमूल जानने । बहुरि उस प्रथम वर्गमूल ते एक स्थान जाइए, वाका वर्ग कीजिए, तब गुण- पर्याय सयुक्त जे त्रिलोक के मध्यवर्ती त्रिलोक सबधी जीवादिक पदार्थनि का समूह, ताका प्रकाशक जो केवलज्ञान सूर्य, ताकी प्रभा के प्रतिपक्षी कर्मनि के सर्वथा नाश ते प्रकट भए समस्त अविभाग प्रतिच्छेदनि का समूहरूप सर्वोत्कृष्ट भाग प्रमारण उपजै है; सोई उत्कृष्ट क्षायिक लब्धि है । इहां ही इस धारा का अत स्थान है । यह ही सर्वोत्कृष्ट परिमाण है । या कोऊ अधिक परिमाण नाही । से यहु द्विरूप वर्गधारा कही । या वर्गरूप सर्वस्थान केवलज्ञान की वर्गशलाको परिमाण जानने ।
अब इहा केतेइक नियम दिखाइए है - जो राशि विरलन देय क्रम करि निपजै, सो राशि जिस धारा विषै कही होइ, तिस धारा विषे ही तीहि राशि की वर्गशलाका वा अर्धच्छेद न होइ । जैसे विरलन राशि सोलह (१६), ताका विरलन करि एक-एक प्रति सोलहो जायगा देय राशि जो सोलह सो स्थापि, परस्पर गुरणन कीए एकट्ठी प्रमाण होइ, सो एकट्ठी प्रमाण राशि द्विरूप वर्गधारा विषै पाइये है । याके अर्धच्छेद चौसठि (६४), वर्गशलाका छह, सो इस धारा मे न पाइये, असे ही सूच्यगुल वा जगत्श्रेणी इत्यादिक का जानना । असा नियम इस द्विरूप वर्गधारा विषै अर द्विरूप घनधारा र द्विरूप घनाघनधारा विषै जानना । तहाते सूच्यगुलादिक द्विरूप वर्गधारा विषे अपनी-अपनी देय राशि के स्थान ते ऊपरि विरलन राशि के जेते अर्धच्छेद होइ, तितने वर्गस्थान गये उपजे है । तहा सूच्यगुल का विरलन राशिपल्य का प्रच्छेद प्रमाण है, देय राशि पल्य प्रमाण है । बहुरि जगच्छे गी की विरलन राशि पल्य का अर्धच्छेदनि का असख्यातवा भागमात्र जानना, देय राशि घनागुलमात्र जानना । तहा अपना-अपना विरलन राशि का विरलन करि एक-एक बखेरि तहा एक-एक प्रति देय राशि को देइ परस्पर गुणै जो-जो राशि उपजै है, सो आगे कथन करेंगे । बहुरि द्विरूप वर्गधारादिक तीनि धारानि विषै पहला पहला वर्गस्थान ते ऊपरला - ऊपरला वर्गस्थान विषै अर्धच्छेदअर्धच्छेद तो दूणे-दूणे जानने अर वर्गशलाका एक-एक अधिक जाननी । जैसे दूसरा
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