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[ गोम्मटसार जोवकाण्ड गाथा ११७
बहुरि इहा असंख्यात स्थान जाइ अद्धापल्य का वर्ग शलाका राशि होड है । बहुरि याते असख्यात स्थान जाइ, श्रद्धापल्य का अर्धच्छेद राशि होइ । बहुरि याते असख्यात स्थान जाइ श्रद्धापल्य का वर्गमूल होइ । बहुरि याते प्रसंख्यात स्थान गये सूच्यंगुल होइ । बहुरि यातै एक स्थान गये प्रतरागुल होइ । वहुरि याते प्रसंख्यात स्थान गये जगत् श्रेणी का घनमूल होइ । बहुरि याते असख्यात संख्यात स्थान गये क्रम ते जघन्य परीतानत का वर्गशलाका राशि पर अर्द्धच्छेद राणि श्रर वर्गमूल होइ । यातै एक स्थान गये जघन्य परीतानत होइ । बहुरि याते श्रसंख्यात स्थान गये जघन्य युक्तानंत होइ । बहुरि यातै एक स्थान गये जघन्य ग्रनतानंत होड |
हुरिया अनंतात अनतानत स्थान गये क्रम ते जीव राशि का वर्गशलाका राशि अर अर्द्धच्छेद राशि अर वर्गमूल होइ । यातै एक स्थान गये जीव राशि होइ । वहुरि अव इहां ते ग्रागे जे राशि कहिए है, तिनिका वर्गशलाका राशि, अर्धच्छेद राशि, वर्गमूल सवका से कहि लेना । सो जीवराणि ते अनतानत वर्गस्थान गए पुद्गल परमाणुनि का परिमाण होइ । याते अनतानत वर्गस्थान गए तीनि काल के समयनि का परिमाण होइ । याते अनतानंत स्थान गये श्रेणीरूप आकाश के प्रदेशनि का परिमाण होड, सो यहु लोक-लोकरूप सब अकाश के लवाईरूप प्रदेशनि का परिमाण है । यामै चौडाई-ऊचाई न लीनी । बहुरि यातं एक स्थान गये प्रतराकाश के प्रदेशनिका परिमाण है, सो यहु लोक प्रलोकरूप सर्व प्रकाश के प्रदेशनि का लंबाईरूप वा चाप प्रदेशनि का परिमाण है, यामै ऊचाई न लीनी । ऊचाई सहित घनरूप सर्व प्रकाश के प्रदेशनि का प्रमाण द्विरूप घनधारा विप है, इस धारा विषै नाही है । बहुरि यातं नतानत स्थान जाइ धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य के अगुरुलघु गुणनि का विभाग प्रतिच्छेदनि का प्रमाण होइ । जिसका भाग न होइ जैसा कोई शक्ति का सूक्ष्म अश, ताका नाम अविभाग प्रतिच्छेद है । बहुरि यात अनंतात वर्गस्थान गये एक जीव के अगुरुलघु गुण के षट्स्थान पतित वृद्धि हानि रूप अविभाग प्रतिच्छेदनि का प्रमाण होइ है । वहुरि यातै अनंतानंत वर्गस्थान गये सूक्ष्म निगोदिया के जो लब्ध्यक्षर नामा जघन्य ज्ञान होइ है, ताके अविभाग प्रतिच्छेदनि का परिमाण होइ । बहुरिया नतानंत वर्गस्थान गए ग्रसयत सम्यग्दृष्टी तिर्यच के जो जघन्य सम्यक्त्वरूप क्षयिक लब्धि हो है, ताके अविभाग प्रतिच्छेदनि का प्रमारण होइ । बहुरि यात अनंतानन स्थान गए केवलज्ञान का वर्गशलाका राणि होइ । वहुरि यातै अनंतानंत वर्तमान गए केवलज्ञान का प्रवच्छेद राशि होड । वहुरि यातै अनंतानत वर्गस्थान