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f गोम्मटसार जीवकाण्ड गाथा ११७ २५० 1 वर्गस्थान सोलह, ताका अर्धच्छेद च्यारि अर तीसरा वर्गस्थान दोय सै छप्पन, ताका अर्घच्छेद पाठ, जैसे ही दूणे-दूणे जानने । वहुरि वर्गणलाका सोलह की दोय, दोय सै छप्पन की तीन असे एक अधिक जाननी । बहुरि तीहि ऊपरला स्थानक के निकटवर्ती जेथवां ऊपरला स्थानक होइ, तेथवा अन्य धारा विष स्थान होइ, तौ तहां तिस पहिले स्थान ते अर्धच्छेद तिगुणे होंड, जैसे द्विरूप वर्गधारा का द्वितीय स्थान सोलह, ताके अर्घच्छेद च्यारि, अर ताते ऊपरिला द्विरूप धनधारा का तीसरा स्थान च्यारि हजार छिन, ताके अर्धच्छेद वारह, असे सर्वत्र जानना । बहुरि वर्गशलाका दोऊ की समान जाननी, जैसे दोय सै छप्पन की भी तीन वर्गशलाका, च्यारि हजार छिन की भी तीन वर्गणलाका हो है । बहुरि राशि के जेते अर्धच्छेद होइ, तिनि अर्धच्छेदनि के जेते अर्धच्छेद होइ, तितनी राशि की वर्गणलाका जाननी । जैसे राशि का प्रमाण सोलह, ताके अर्धच्छेद च्यारि, याहू के अर्धच्छेद दोय, राशि सोलह, ताकी वर्गणलाका दोय है, असे सर्वत्र जानना । बहुरि जेती वर्गणलाका होइ, तितनी जायगा दोय-दोय माडि परस्पर गुणिए, तव अर्धच्छेदनि का परिमाण आवै । जैसे सोलह की वर्गशलाका दोय, सो दोय जायगा दोय-दोय मांडि परस्पर गुरिगए, तब च्यारि होड, सो सोलह के च्यारि अर्धच्छेद है, सो यह नियम द्विरूप वर्गधारा विष ही है । वहुरि जेते अर्घच्छेद होड, तितना दुवा माडि परस्पर गुरिगए, तव राशि का परिमाण होइ । जमै च्यारि अर्धच्छेद के च्यारि जायगा दुवा माडि परस्पर गुरिणए, तब जो राशि सोलह, तीहिका परिमाण आवे ।
वर्गणलाका कहा ?
जती वार वर्ग कीये राशि होइ, सो वर्गशलाका है । अथवा द्विरूप धारा विप अर्वच्छेदनि का अर्धच्छेद प्रमाण वर्गशलाका हो है ।
वहरि अर्धच्छेद कहा ?
रागि का जेता वार आधा-आधा होइ, सो अर्धच्छेद राशि है । इत्यादि यथा मभव जानना।
बहुरि हिरूप का धन की प्रादि देकरि पहला-पहला वर्ग करते संख्या विणेप जिन धन विप होड, सो द्विरूप घनधारा है । सो दोय का घन आठ हो है, सो नो बाला पहिला स्थान । बहुरि याका वर्ग चौसठि, सो दूसरा स्थान । वहुरि याका यंग मारि हजार छिनर्व, सो तीसरा स्थान, सो यहु सोलह का घन है । वहुरि