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यह अंक संदृष्टि अपेक्षा 'व्येकपदार्धघ्नचयगुणो गच्छ उत्तरधनं' इस सूत्र की वासना कहने को रचना है ।
सर्व स्थानकनि विर्षे आदि का प्रमाण
सर्वस्थानकनि विप समानरूप कीए चयनि की रचना इहा च्यारि-च्यारि तौ एक-एक चय का प्रमाण, प्रागै दोय प्राधा चय का प्रमाण जानना
ऊपरि समयवर्ती चयकादि नीचले समय स्थान विष स्थापे, तिनकी रचना
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नगई उत्तग्घन
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