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________________ १ २ m ४ ५ ६ ७ u £ १० ११ १२ १३ * १५ १६ १७ १८ T २० २१ २२ २३ २४ २५ स्त्री अर्थ भोजन राजा चोर वैर परपाखड देश भाषा गुणवध देवी निष्ठुर परपैशुन्य कदर्प देशकाला नुचित भड मूर्ख श्रात्मप्रशमा परपरिवाद परजुगुप्सा परपीडा कलह परिग्रह कृष्याधारभ संगीतवाच M मनदानुवधी क्रोध अनतानुवधी मान २५ धनतानुवधी माया ५० धनतानुवधी लोभ ७५ प्रत्याख्यान क्रोध १०० अप्रत्यास्थान मान १२५ श्रप्रत्याख्यान माया १५० पप्रत्याख्यान लोभ १७५ प्रत्यास्थान क्रोध २०० प्रत्यास्थान मान २२५ प्रत्याख्यान माया २५० प्रत्याख्यान लोभ २७५ सज्वलन क्रोध ३०० सज्वलन मान ३२५ सज्वलन माया ३५० सज्वलन लोभ ३७५ हास्य ४०० रवि ४०५ अरति ४५० शोक ४७५ भय ५०० जुगुप्सा ५२५ पुरुष ५५० स्त्री ५७५ नपुंसक ६००. स्पर्शन ० रसन ९२५ घ्राण १२५० चक्षु १८७५ थोत्र २५०० मन ३१२५ सत्याग्रदि । o О निद्रानिद्रा 3070 चगा ७५०० faxr ११२५० प्रचना १५००० नेद १८०५० मोह
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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