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________________ स्पर्शन अनतानुवधी क्रोध स्त्री सस्त्याननद्धि | १ स्नेह अर्थ अनतानुवधी मान १५०० रसन निद्रानिद्रा २ मोह प्रचलाप्रचला १० ध्राण २० ३००० भोजन अनतानुवची माया । प्राण । प्रचलाप्रचना ४५०० चक्षु निद्रा राजा ३० श्रोत्र अनतानुबधी माया १२० अनतानुबधी लोभ १८० अप्रत्याख्यान क्रोध २४० अप्रत्याख्यान मान ३०० अप्रत्याख्यान माया प्रचला ६००० चोर ४० ७५०० वर मन 1050 १००० परपाखड प १०५०० देश १२००० 'भाषा सर्व विधान पूर्वोक्त जानना, असे गूढ यंत्र करना। तहां प्रमाद के साडे सैतीस हजार भेद, तिनिका यंत्र लिखिए। १३५०० गुणवध १५००० देवी १६५०० निष्ठुर १८००० परपशून्य १९५०० कदपं २१००० देशकालानुचित अप्रत्याख्यान लोभ ४२० प्रत्याख्यान क्रोध ४८० प्रत्याख्यान मान ५४० प्रत्याख्यान माया ६०० प्रत्याख्यान लोभ ६६० सज्वलन क्रोध ७२० सज्वलन मान ७८० सज्वलन माया ८४० सज्वलन लोभ ६०० हास्य ६६० रति १०० परति १०८० शोक ११४० भय १२०० जुगुप्सा १२६० पुरुष १३२० स्त्री १३८० नपुमक १४४० २२५०० भंड २४००० मूर्ख २५५०० आत्मप्रशसा २७००० परपरिवाद २८५०० परजुगुप्सा ३०००० परपीडा .३१५०० कलह ३३००० परिग्रह ३४५०० कृष्याचारभ ३६००० सगीतवाद्य
SR No.010074
Book TitleSamyag Gyan Charitra 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashpal Jain
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1989
Total Pages716
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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