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सम्यग्ज्ञानचन्द्रिका भाषाटोका ]
[ १२१ तथा दूसरा उदाहरण - तीसवां पालाप कैसा है ?
असा प्रश्न होते विकथा, कषाय, इंद्रिय के जिस-जिस कोठा के अंक जोड़े सो तीस संख्या होइ, तिस-तिस कोठा को प्राप्त विकथादि प्रमाद जोड़े, भक्तकथालापी-लोभी-रसना इंद्रिय के वशीभूत-निद्रालु-स्नेहवान असा तिस तीसवां पालाप को कहै।
अब उद्दिष्ट का उदाहरण कहिए हैं - स्त्रीकथालापी-मानी-घ्राण इंद्रिय के वशीभूत-निद्रालु-स्नेहवान असा आलाप केथवां है ?
असा प्रश्न होते इस आलाप विर्षे जो-जो विकथादि प्रमाद कहा है, तीहतीह प्रमाद का कोठा विष जो-जो अंक एक, च्यारि, बत्तीस, लिखे है; तिनको जोडे, सैंतीस होइ, तातें सो आलाप सैतीसवां कहिए ।
बहुरि दूसरा उदाहरण अवनिपालकथालापी-लोभी-चक्षु इन्द्रिय के वशीभूतनिद्रालु-स्नेहवान असा पालाप कैथवां है ?
तहां इस आलाप विष जे प्रमाद कहे, तिनके कोठानि विष प्राप्त च्यारि, बारह, अड़तालीस अंक मिलाएं, जो संख्या चौसठि होइ, सोई तिस आलाप को चौसठिवां कहै, असे ही अन्य आलाप पूछ भी विधान करना ।
__जैसै मूल प्रमाद पाच, उत्तर प्रमाद पंद्रह, उत्तरोत्तर प्रमाद असी, इनका यथासंभव संख्यादिक पाच प्रकारनि को निरूपण करि ।
अब और प्रमाद की संख्या का विशेष कौ जनावै है, सो कहै है । स्त्री की सो स्त्रीकथा, धनादिरूप अर्थकथा, खाने की सो भोजन कथा, राजानि की सो राजकथा चोर की सो चोरकथा, वैर करणहारी सो वरकथा, पराया पाखडादिरूप सो परपाखडकथा, देशादिक की सो देशकथा, कहानी इत्यादि भाषाकथा, गुण रोकनेरूप गुणबंधकथा, देवी की सो देवीकथा, कठोररूप निष्ठुरकथा, दुष्टतारूप परपैशून्यकथा, कामादिरूप कंदर्पकथा, देशकाल विष विपरीत सो देशकालानुचितकथा, निर्लज्जतादिरूप भडकथा, मूर्खतारूप मूर्खकथा, अपनी बढाईरूप आत्मप्रशसाकथा, पराई निदा रूप परपरिवादकथा, पराई घृणारूप परजुगुप्साकथा, पर की पीड़ा देनेरूप परपीड़ा कथा, लड़नेरूप कलहकथा, परिग्रह कार्यरूप परिग्रहकथा, खेती आदि का प्रारभरूप कृष्याद्यारंभकथा, संगीत वादित्रादिरूप संगीतवादित्रादि कथा - असे विकथा पचीस भेदसंयुक्त है।