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आचार्य कुंदकुंददेव
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तीर्थकर भक्ति :- इसमें ८ गाथाओं के द्वारा ऋषभादि सभी तीर्थकरों की वदंना की गई है।
इस प्रकार आचार्यदेव के सभी अलौकिक कृति रत्नों का सामान्य परिचय संक्षेप में यहाँ दिया गया है। इस अत्यल्प परिचय को पढ़कर मूल ग्रन्थ के अध्ययन का भाव जागृत हो, ऐसी हार्दिक इच्छा है । पाठक इस इच्छा को अल्प मात्रा में भी पूर्ण करेंगे तो मेरा यह प्रयत्न सार्थक हो जायेगा |
यहाँ निरूपित आचार्य देव के जीवन चरित्र से उनके महान जीवन का सामान्य परिचय हो; इस उद्देश्य से इस कृति की रचना हुई है। आचार्य ने अपने जीवन में जिस सत्य का साक्षात्कारं किया था उसके लिए उनकी कृतियों के अध्ययन की अभिलाषा यदि मन में उत्पन्न होती है तो यह रचना सफल है। आचार्यदेव के समान हम सभी पवित्र होंगे तो ही समझना चाहिए कि हमने आचार्य देव को वस्तुतः समझा है ।