SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 131
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आचार्य कुंदकुंददेव १३३ तीर्थकर भक्ति :- इसमें ८ गाथाओं के द्वारा ऋषभादि सभी तीर्थकरों की वदंना की गई है। इस प्रकार आचार्यदेव के सभी अलौकिक कृति रत्नों का सामान्य परिचय संक्षेप में यहाँ दिया गया है। इस अत्यल्प परिचय को पढ़कर मूल ग्रन्थ के अध्ययन का भाव जागृत हो, ऐसी हार्दिक इच्छा है । पाठक इस इच्छा को अल्प मात्रा में भी पूर्ण करेंगे तो मेरा यह प्रयत्न सार्थक हो जायेगा | यहाँ निरूपित आचार्य देव के जीवन चरित्र से उनके महान जीवन का सामान्य परिचय हो; इस उद्देश्य से इस कृति की रचना हुई है। आचार्य ने अपने जीवन में जिस सत्य का साक्षात्कारं किया था उसके लिए उनकी कृतियों के अध्ययन की अभिलाषा यदि मन में उत्पन्न होती है तो यह रचना सफल है। आचार्यदेव के समान हम सभी पवित्र होंगे तो ही समझना चाहिए कि हमने आचार्य देव को वस्तुतः समझा है ।
SR No.010069
Book TitleKundakundadeva Acharya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorM B Patil, Yashpal Jain, Bhartesh Patil
PublisherDigambar Jain Trust
Publication Year
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy