________________ 538 जैनतत्त्वादर्श हुआ, और भुवानीदास का चेला लाहौर का वासी. मलकचन्द हुआ, मलूकचन्द का महासिंघ, और महासिंघ का कुशलराय और कुशलराय का छजमल और छजमल का रामलाल, और रामलाल के शिष्य रामरल और अमरसिंह, ये दोनों मैंने देखे हैं / अब इन दोनों के चेले बसंतराय और रामबख्श वगैरे जीते हैं। ये पंजाब देश में आज कल फिरते हैं। ____और जीवाजी का चेला -लालचंद हुआ, लालचंद का अमरसिंह हुआ, सो मारवाड़ देश में आया / तिसके परिवार में नानकजी, जिनों के चेले अब अजमेर अरु कृष्णगढ के जिल्ले में बहुत रहते हैं। और श्यामिदास जिनों के परिवार के कन्हीराम, लेखराज, तखतमल प्रमुख अब मारवाड़ में रहते हैं। और जो कोटेबूंदी में तथा मालवे में लालचंद गणेशजी, गोविन्दरामजी हुये / तथा अमीचंद, हुकमचंद, उदयचंद, फतेचंद, ज्ञानजी, छगन, मगन, देवकरण अरु पनालाल प्रमुख फिरते हैं, ये भी हरिदास के ही चेले हैं / तथा अमरसिंह का चेला दीपचंद, दीपचंद का चेला धर्मदास, धर्मदास का जोगराज, जोगराज का हजारीमल्ल, हजारीमल्ल का लालजीराम, लालजीराम का गंगाराम, गंगाराम का जीवनमल्ल, जो इस वक्त दिल्ली के आसपास के गामों में फिरते हैं। तथा अमरसिंह के परिवार में धनजी, मनजी, नाथुराम