________________ द्वादश परिच्छेद 123 का मान्य मंत्री गलराजा दूसरा नाम मलिक श्रीनगदलने श्रीशQजय का बड़ा संघ निकाला / तथा जिनोंके उपदेश से गंधार नगर के श्रावक रामजीने तथा अहमदावादी साह कुंअरजी प्रमुखने श्रीशत्रुजय चौमुख अष्टापदादि जिनमंदिर बनवाए; गिरनार ऊपर जीर्णप्रासादोद्धार करा / तथा जिनके सूर्य की तरे उदय होने से वादीरूपी तारे अवश्य हो गये। विजयदानसूरि सर्व सिद्धांत का पारंगामी, अखंडित प्रतापवाला तथा अप्रमत्तपने करके श्री गौतममुनिवत् था। तथा गुर्जर, मालवक, कच्छ, मरुस्थली, कुंकणादि देशों में अप्रतिबद्ध विहार किया। महातपस्वी, जावजीव एक घृतविगय विना सर्व विगम का त्यागी था। जिनोंने एकादशांग सूत्र अनेक वार शुद्ध करे, और जिनोंने बहुत जीवों को धर्मप्राप्त करा / तिनका संवत् 1553 में जामला में जन्म, 1562 में दीक्षा, 1587 में सूरिपद, 1622 में वटपल्ली में अनशन करके स्वर्ग को प्राप्त हुए। 58. श्री विजयदानसूरि पट्टे श्री हीरविजयसरि हुआ, जिन का संवत् 1583 में मार्गशीर्षशुदि नवी श्रीहरिविजयसूरि के दिन प्राङ्लादनपुर का वासी ऊके जाती सा. कूरा भार्या नाथी गृहे जन्म हुआ, 1596 में कार्तिकवदि दूज के दिन पत्तन नगर में दीक्षा, 1607 में नारदपुरी में श्रीऋषभदेव के मंदिर में पंडित पद, 1608 में माष