________________ 513 द्वादश परिच्छेद सरिपद दिया, क्योंकि तिनोंने अपनी स्वल्प ही आयु जानी / सोमप्रभजी 1373 के वर्ष में देवलोक गये। 48. श्री सोमप्रभसूरि पट्टे श्री सोमतिलकसूरि हुए, ___ तिनका 1355 के माघ में जन्म, 1369 में श्रीसोमतिलकमूरि दीक्षा, 1373 में सूरिपद, 1424 में स्वर्ग गमन, सर्वायु 69 वर्ष की जाननी / तिनके करे ग्रंथ लिखते हैं: बृहन्नन्यक्षेत्रसमास सूत्र, सत्तरिसयठाणं, यनाखिलजयवृषभस्रस्ताशर्म० प्रमुख की वृत्ति, तीर्थराज०, चतुरस्तुतितद्वत्ति, शुभभावानत० श्रीमद्वीरस्तुवेदित्यादिकमलबंधस्तवः शिवशिरसि नामिसंभव० शैवेय. इत्यादि स्तवन / सोमतिलकसूरिने क्रम करके-१. पद्मतिलकसूरि, 2. चन्द्रशे. खरसूरि, 3. जयानंदसूरि, 4. देवसुंदरसूरि को सूरिपद दिया / तिन में पद्मतिलकसूरि सोमतिलकसूरि से पर्याय में बड़े थे, सो एक वर्ष जीते रहे, और बड़े वैरागी थे। तथा श्री चंद्रशेखरसूरि विक्रम संवत् 1373 में जन्मे, 1385 में दीक्षा, 1393 में सूरिपद / इनके करे ग्रन्थउषितभोजन कथा, यवराज ऋषि कथा, श्रीमत्स्तम्भकहारवन्धादिस्तवन है / जिनों के मन्त्रों सो मन्त्रित रज होवे, तिससे भी उपद्रव करनेवाले गृह, हरिका, दुर्द्धर मृगराज, श्वान, शुरिति दूर हो जाते थे / तथा जयानंदसूरि का विक्रम