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________________ 500 जैनतत्वादर्श 29. श्रीविबुधप्रभसूरि के पाट ऊपर जयानंदसूरि हुआ। 30. श्रीजयानंदसूरि के पाट ऊपर रविप्रमसूरि हुआ। विसने महावीर से 1170 वर्ष पीछे और विक्रमसंवत् से 700 वर्ष पीछे नडोल नगर में नेमिनाथ के प्रासाद-मंदिर की प्रतिष्ठा करी / तथा वीर से 1190 वर्ष पीछे उमास्वाति युगप्रधान हुआ। 31. श्रीरविप्रभसूरि के पाट ऊपर श्री यशोदेवसूरि बैठे। यहां महावीर से 1272 वर्ष पीछे और विक्रम सम्वत् से 802 के साल में अणहलपुर पट्टन वनराज राजाने बसाया / बनराज जैनी राजा था। तथा वीर से 1270 और विक्रमादित्य के सम्बत् 800 के साल में भाद्रपद शुक्ल तीज के दिन बप्पभट्ट आचार्य का जन्म हुआ, जिसने गवालियर के आम नाम राजा को जैनी बनाया / इन का विशेष चरित्र प्रबन्धचिंतामणि ग्रन्थ से जान लेना। 32. श्रीयशोदेवसरि के पाट ऊपर प्रद्युम्नसूरिजी हुआ। 33. श्रीप्रद्युम्नसूरि के पाट ऊपर मानदेवसूरि उपधानवाच्यग्रन्थ का कर्ता हुआ। 34. श्री मानदेवसूरि के पाट ऊपर विमलचन्द्रजीसूरि हुए। 35. श्रीविमलचन्द्रसूरि के पाट ऊपर उद्योतनसूरि हुआ, सो उद्योतनसूरि अर्बुदाचल-आबू श्रीउद्योतनसूरि के पहाड़ ऊपर यात्रा करने आये थे, वहां टेली गाम के पास बड़े बड़वृक्ष की छाया
SR No.010065
Book TitleJain Tattvadarsha Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1936
Total Pages384
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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