________________ द्वादश परिच्छेद हुआ। तिसका बेटा विंदुसार, तिसका बेटा अशोक, तिसका वेटा कुणाल, तिसका बेटा सम्प्रति महाराजादि हुए। इन मौर्यवंगियों का सर्व राज 108 वर्ष तक रहा / यह पूर्वोक्त सर्व राजे प्रायः जैनमतवाले थे / तिनके पीछे तीस वर्ष तक पुष्यमित्र राजा का राज्य रहा। तिस पीछे बलमित्र, भानुमित्र, इन दोनों राजाओं का राज्य 60 वर्ष तक रहा, तिस पीछे नभवाहन राजा का राज्य 40 वर्ष तक रहा, तिस पीछे तेरा वर्ष गर्दभिल्ली का राज्य रहा, और चार वर्ष शकों का राज्य रहा, पीछे विक्रमादित्यने शकों को जीत के अपना राज्य जमाया / यह सर्व 470 वर्ष हुए। 11. श्री इन्द्रदिन्नसूरि के पाट ऊपर श्री दिन्नसूरि हुये। 12. श्री दिन्नसूरि के पाट ऊपर श्री सिंहगिरिसूरि हुये। 13. श्री सिंहगिरिजी के पाट ऊपर वज्रस्वामीजी हुये / जिनको बाल्यावस्था से जातिस्मरण ज्ञान श्री वज्रस्वामी था, जिन को आकाशगमन विद्या भी थी; जिनोंने दूसरे वारा वर्षी काल में संघ की रक्षा करी। तथा जिनोंने दक्षिणपथ में बौधों के राज्य में जिनेंद्र पूजा वास्ते फूल ला के दिये, बौद्ध राजा को जैनमती करा / यह आचार्य पिछला दश पूर्व का पाठक हुआ। जिनोंसे हमारी वज्री शाखा उत्पन्न हुई / इनका प्रबन्ध आवश्यक वृत्ति से जान लेना / सो वज्रस्वामी महावीर से पीछे चार सौ छयानवे और विक्रमादित्य के संवत् छब्बीस