________________ जैनतत्वादर्श परिशिष्टपर्व, उतराध्ययन वृत्ति तथा आवश्यक वृत्ति से देख लेना। श्री स्थूलभद्र स्वामी के पीछे ऊपर के चार पूर्व, प्रथम संहनन, प्रथम संस्थान, व्यवच्छेद हो गये, तथा श्रीमहाचीर से दो सौ बीस (220) वर्ष पीछे अश्वमित्र नामा चौथा क्षणिकवादी निन्हव हुआ। और श्री स्थूलभद्रजी के समय में बारां वर्ष का दुर्मिक्ष पड़ा। उस समय में चन्द्रगुप्त का राज था। तथा श्री महावीर के पीछे 228 वर्ष व्यतीत हुए गंग नामा पांचमा निन्हव हुआ। 8. श्री स्थूलभद्र पीछे थी स्थूलभद्रजी के दो शिष्य, एक आर्यमहागिरि और दूसरा सुहस्तिसूरि आठमे पाट ऊपर बैठे। तिस में आर्यमहागिरि के शिष्य 1. बहुल, 2. बलिस्सह, फिर बलिस्सह का शिष्य श्री उमास्वातिजी जिसने तत्त्वार्थादि सूत्र रचे हैं, और उमास्वाति का शिष्य श्यामाचार्य, जिसने प्रज्ञापना (पनवणासूत्र ) बनाया। यह श्यामाचार्य श्री महावीर से तीन सौ छिहत्तर वर्ष पीछे स्वर्ग गया। और आर्य महागिरिजी तीस वर्ष गृहवास में रहे, चालीस वर्ष व्रतपर्याय अरु तीस वर्ष युगप्रधान पदवी सर्वायु एक सौ वर्ष की भोग के स्वर्ग गये। ___ और दूसरा आठमे पाटवाला सुहस्तिसूरि, जिसने एक भिखारी को दीक्षा दीनी / वो भिखारी काल सम्प्रति राजा करके चन्द्रगुप्त का बेटा बिंदुसार और बिंदु सार का बेटा अशोक और अशोक का बेटा