________________ एकादश परिच्छेद 43 उपदेशानुसार ही रचे गये हैं / श्रीमहावीर भगवन्त का संपूर्ण वृत्तांत देखना होवे, तदा आवश्यक सूत्रवृत्ति, कल्पसूत्र वृत्ति तथा श्रीमहावीर चरितादि ग्रन्थों से जान लेना। इति श्री तपागच्छीय मुनि श्रीवुद्धिविजय शिष्य मुनि आनंदविजय-आत्मारामविरचिते जैनतत्त्वादर्श एकादशः परिच्छेदः संपूर्णः