________________ 432 जैनतत्वादर्श जायेंगे / जब परशुराम आप ही अंश को कोहाडे से काटने लगा, तब तिस से और अधिक अज्ञानी कौन बनेगा ! जब सुभूम चक्रवर्ती आठमा हुआ, तब जैसे परशुरामने सात वार निःक्षत्रिया पृथ्वी करी थी, तैसे सुमूमने पिछले वैर से इक्कीस वार निर्ब्राह्मण पृथ्वी करी / अपनी जान में कोई भी ब्राह्मण जीता नहीं छोड़ा / इसी वास्ते इन राजाओं को ब्राह्मणोंने दैत्य, राक्षस के नाम से पुस्तकों में लिख दिया है। यह दोनों मर के अधोगति में गये। इस सुभूमचक्रवर्ती से पहिले इसी अंतरे में छठा पुरुष. पुंडरीक वासुदेव तथा आनन्द नामा बलदेव और बलि नामा प्रतिवासुदेव हुये। तथा सुभूम के पीछे इस अंतरे में दत्त नामा सातमा वासुदेव तथा नंद नामा बलदेव और प्रसाद नामा प्रतिवासुदेव हुये। तिस पीछे मिथिला नगरी में इक्ष्वाकुवंशी कुम्भ राजा हुआ, तिसकी प्रभावती रानी, तिनकी पुत्री मल्लिनाथ नामा उन्नीसवां तीर्थकर हुआ। तिस पीछे राजगृह नगरी में हरिवंशी सुमित्र हुआ, तिसकी पद्मावती रानी, तिनका पुत्र मुनिसुव्रत नामा वीसवां तीर्थंकर हुआ। इनों के समय में महापद्म नामा नवमा चक्रवर्ती हुआ। तिसका सम्बंध त्रेसठशलाकापुरुषचरित्र से जान लेना; परन्तु तिसके भाई विष्णुकुमार का थोड़ा सा सम्बंध यहां लिखते हैं।