________________ 28 जैनतस्वादर्श में चला गया। उधर प्रधान राजपुरुषोंने अनंतवीर्य के बेटे छतवीर्य को राजसिंहासन, ऊपर बिठाया, / परन्तु वो उमर में छोटा था। एक दिन अपनी माता के मुख से अपने पिता के मरने का वृत्तांत सुन के सर्प के डसे हुये की तरे ना कर जमदग्नि को मार दिया। तब परशुराम अपने, पिता का, वध देख के क्रोध में जाज्वल्यमान हो कर हस्तिनापुर में आके कृतवीर्य को मार के आप राजसिंहासन ऊपर बैठ गया। क्योंकि राज्य जो है, सो पराक्रम के अधीन है,। तब कृतवीर्य की तारा नामा गर्भवती रानी परशुराम के भय से दौड़ कर किसी जंगल में तापसों के आश्रम में गई। तब तिन तापसों ने दया करके तिस रानी को अपने मठ के भौहरे में निधान की तरे छिपा के रक्खा / तहां तिस रानी के चौदह स्वप्न सूचित पुत्र जन्मा। तिसका नाम तिसकी माता ने सुभूम रक्खा / क्षत्रिय जो जहां मिलता है, वहां ही परशुराम का कुहाड़ा जाज्वल्यमान हो जाता है। तब परशुराम परशु से क्षत्रियों का शिर काट देता है। ___ अन्यदा परशुराम जहां छिपी हुई रानी पुत्र सहित रहती थी, तिस आश्रम में आया / तहां परशुराम का परशु जाज्वल्यमान हुआ, तब परशुराम ने तापसों को पूछा, क्या यहां कोई क्षत्रिय है ! तब तापसोंने कहा कि हम गृहस्थावास में क्षत्रिय थे। तब परशुरामने भी ऋषियों को छोड़ के सात वार निःक्षत्रिय पृथ्वी करी। अर्थात् सात वार चढ़ाई