________________ एकादश परिच्छेद 427 राम भी सरकड़े के वन में जाकर तिस विद्या को सिद्ध करता भया / तिस विद्या के प्रमाव से राम परशुराम नाम करके जगत् में प्रसिद्ध हुआ। ___एकदा अपने जमदग्नि पति को पूछ के रेणुका बड़ी उत्कंठा से अपनी वहिन को मिलने वास्ते हस्तिनापुर में गई। तहां रेणुका को अपनी साली जान कर अनंतवीर्य राजा हंसी मश्करी करने लगा, और रेणुका का बहुत सुन्दर रूप देख कर कामातुर हो उसके साथ निरंकुश हो कर विषय सेवन करने लगा। तब अनंतवीर्य के भोग से रेणुका को एक पुत्र जन्मा। पीछे जमदग्नि पुत्र सहित रेणुका को आश्रम में लाया। क्योंकि पुरुष जब सियों में लुव्व हो जाता है, तब बहुलता से कोई भी दोष नहीं देखता है। जव परशुरामने अपनी माता को पुत्र सहित देखा, तब क्रोध में आकर परशु से अपनी माता का और तिस लड़के का गिर काट डाला। जब यह वृत्तांत अनन्तवीर्य राजाने सुना, तब क्रोध में भर कर और फौज लेकर जमदग्नि का आश्रम जला फूंक, तोड़ फोड़ गेरा, और सर्व तापसों को त्रासमान फरा। तब तापसोंने दौड़ते हुये जो रौला करा, तिस को परशुरामने सुना और सारा वृत्तांत सुन के परशु ले के राजा की सेना ऊपर दौड़ा। परशुरामने परशु से राजा और राजा की सेना सुमटों को काष्ठ की तरे फाड़ के गेर दिया। आप पीछे आश्रम