________________ एकादश परिच्छेद तिसको क्योंकर छिपा सकेंगे। इस में यह मसल मशहूर है कि, बूंद की बात तो विलायत गई, अव क्यों घडे रुहाते हो / अच्छा हमारे मत में तो वेदश्रुति और ब्रह्मा( प्रजापति) का अर्थ यथार्थ ही करा है। अरु जब त्रिपृष्ट और अचल दोनों यौवनवंत हुये, तब तिनों ने त्रिखण्ड के राजा अश्वप्रीव को मार के तीन खण्ड का राज्य करा / तिस पीछे चंपापुरी का इक्ष्वाकुवंशी वसुपूज्य नामा राजा हुआ। तिसकी जया नामा रानी, तिनोका पुत्र श्री वासुपूज्यनाथ नामा वारहवां तीर्थंकर हुआ। तिनोंके वारे दूसरा द्विपृष्ट वासुदेव और अचल बलदेव हुये। और इन का प्रतिशत्रु रावण समान तारक नामा दूसरा प्रतिवासुदेव हुआ। इन मर्व वासुदेव और चक्रवर्ती आदिकों का सम्पूर्ण वर्णन त्रेसउगलाकापुरुष चरिन से जान लेना। तिस पीछे कंपिलपुर नगर में इक्ष्वाकुवंशी कृतवर्मा नामा राजा हुआ / तिस की श्यामा नामा रानी, तिनोंका पुत्र श्री विमलनाथ नामा तेरहवां तीर्थकर हुआ। तिनोंके वारे तीसरा स्वयंभू वासुदेव और भद्नामा बलदेव तथा मेरक नामा प्रतिवासुदेव हुये। तिस पीछे अयोध्या नगरी में इक्ष्वाकुवंशी सिंहसेन राजा हुआ, तिसकी सुयशा रानी, तिनोंका पुत्र श्रीअनंतनाथ नामा चौदहवां तीर्थकर हुआ। तिनके वारे चौथा पुरुषोत्तम नामा वासुदेव और सुप्रम नामा बलदेव तथा मधुकैटभ नामा