________________ एकादश परिच्छेद 403 दो पुत्र हुवे / तिनमें से बड़ा शौरी और छोटा सुवीर था / शौरी पिता के पीछे राजा वना, शौरी ने मथुरा का राज्य तो अपने छोटे भाई सुवीर को दे दिया, और आप कुशावर्त देश में जाकर अपने नाम का शौरीपुर नगर वसा के राजधानी वनाई / शौरी का बेटा अंधकवृष्णि आदि पुन हुआ। और अंबकवृष्णि के दश वेटे हुये-१. समुद्रविजय, 2. अक्षोभ्य, 3. स्तिमित, 4. सागर, 5. हिमवान्, 6. अचल, 7. धरण, 8. पूर्ण, 9. अभिचन्द्र, 10. वसुदेव / तिन में समुद्रविजय का बड़ा बेटा अरिष्टनेमि जो जैनमत का बावीसमा तीर्थकर हुआ / और वसुदेव के वेटे प्रतापी कृष्ण वासुदेव अरु बलभद्रजी हुये। तथा सुवीर का वेटा भोजवृष्णि और भोजवृष्णि का उग्रसेन और उग्रसेन का कंस वेटा हुआ। और वसुराजा का दूसरा वेटा सुवसु जो भाग के नागपुर गया था, तिसका वृहद्रथ नामा पुत्र हुआ। तिस ने राजगृह में आकर राज करा, तिस का बेटा जरासिंघ हुमा / यह मैंने यहां प्रसंग से लिख दिया है। तब वहां तो नगर के लोक और पण्डितों ने पर्वत का बहुत उपहास करा / सबने पर्वत को कहा कि तूं झूठा है, क्योंकि तेरे साखी वसु को झूठा जान कर देवताने मार दिया, इस वास्ते तेरे से अधिक पापी कौन है ? ऐसे कह कर लोगोंने मिल के पर्वत को नगर से बाहिर निकाल दिया | तव महाकाल असुर उस पर्वत का सहायक हुआ।