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________________ एकादश परिच्छेद 373 40. अग्निस्तंभन, 41. मेघवृष्टि, 42. विलेपनविधि, 43. मर्दनविधि, 44. ऊर्ध्वगमन, 45. घटबन्धन, 46. घटम्रमण, 47. पत्रच्छेदन, 48. मर्मभेदन, 49. फलाकर्षण, 50. जलाकर्षण, 51. लोकाचार, 52. लोकरंजन, 53. अफलवृक्षों को सफल करना, 54. खड्गवन्धन, 55. छुरीबन्धन, 56. मुद्राविधि, 57. लोहज्ञान, 58. दांत समारने, 59. काललक्षण, 60. चित्रकरण, 61. वाहुयुद्ध, 62. मुष्टियुद्ध, 63. दण्डयुद्ध, 64. दृष्टियुद्ध, 65. खङ्गयुद्ध, 66. वागयुद्ध, 67. गारुडविद्या, 68. सर्पदमन, 69. भूतमर्दन, 70. योग-सो द्रव्यानुयोग, अक्षरानुयोग, व्याकरण, औषधानुयोग, 71. वर्षज्ञान, 72. नाममाला / अब सियों को चोसठ कला सिखलाई, तिसका नाम कहते हैं-१. नृत्यकला, 2. औचित्यकला, स्त्री को 64 3. चित्रकला, 4. वादित्र, 5. मंत्र, 6. तंत्र, कलाएं 7. ज्ञान, 8. विज्ञान, 9. दम्भ, 10, जलस्तंम, 11. गीतगान, 12. तालमान, 13, मेघवृष्टि, 14. फलवृष्टि, 15. आरामारोपण, 16. आकारगोपन, 17. धर्मविचार, 18. शकुनविचार, 19. क्रियाकल्पन, 20. संस्कृतजल्पन, 21. प्रसादनीति, 22. धर्मनीति, 23. वर्णिकावृद्धि, 24. स्वर्णसिद्धि, 25. तैलसुरभीकरण, 26. लीलासंचरण, 27. गजतुरंगपरीक्षा, 28. स्त्री पुरुष के लक्षण, 29. कामक्रिया, 30. अष्टादश लिपि परिच्छेद, 31. तत्कालबुद्धि, 32. वस्तुशुद्धि, 33. वैद्यकक्रिया, 34. सुवर्ण रत्नमेद, 35. घट.
SR No.010065
Book TitleJain Tattvadarsha Uttararddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1936
Total Pages384
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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