________________ 364 जैनतत्वादर्श दण्डनीति से फिर वे ऐसा काम नहीं करते थे। पीछे तिस विमलवाहन का पुत्र चक्षुष्मान् हुआ, अपने बाप के पीछे वो राजा अर्थात् कुलकर बना / तिस के वक्त में भी हाकार ही दण्ड रहा / तिस के यशस्वान् नामा पुत्र हुआ, तिसका अमिचन्द्र पुत्र हुआ, इन दोनों के समय में थोड़े अपराध को हाकार दण्ड और बहुत ढीठ को मकार दण्ड कि यह काम मत करना, ये दो दण्डनीति हुई। तिस के प्रश्रेणि पुत्र हुआ, प्रश्रेणि का पुत्र मरुदेव हुआ, मरुदेव का पुत्र नामि हुआ, इन तीनों कुलकरों के समय में हाकार, मकार अरु धिक्कार, ये तीन दण्डनीति हो गई। तिस में थोड़े अपराधी को हाकार, अरु मध्यम अपराधी को मकार, तथा उत्कृष्ट अपराधी को धिक्कार दण्ड करते थे। तिस नामि कुलकर के मरुदेवी नामा भार्या थी। यह नाभिकुलकर बहुलता में इक्ष्वाकु भूमि अर्थात् विनीता नगरी की भूमि में निवास करता था। यह भूमि कश्मीर देश के परे थी, क्योंकि विनीता नगरी के चारों दिशा में चार पर्वत थे। तिस में पूर्व दिशा में अष्टापद अर्थात् कैलासगिरि, दक्षिण दिशा में महाशैल, पश्चिम दिशा में सुरशैल, तथा उत्तर दिशा में उदयाचल पर्वत था।