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जैनतत्वादर्श तीन दिन पीछे उगे, तो उत्तम, पांच दिन पीछे उगे तो मध्यम, अरु सात दिन पीछे उगे, तो हीन भूमि जाननी। .. सर्प की बंधी पर घर बनावे, तो रोग होवे । पोली भूमि पर घर बनावे, तो निर्धन होवे। शल्ययुक्त भूमि पर घर बनावे तो मरण पावे | मनुष्य का हाड अरु केश का शल्य होवे, तो मनुष्यों की हानि करे, खर का शल्य होवे, तो राजा प्रमुख का भय होवे। श्वान का हाड होवे, तो बालक मरण पावे । बालक का हाड होवे, तो गृहस्वामी परदेश में उजड़ जावे । गौ का शल्य होवे, तो गौ रूप धन की झानि होवे । मनुष्य के केश तथा कपाल अरु भस्म होवें, तो मरण देवे। . तथा प्रथम प्रहर अरु पश्चिम प्रहर वर्ज के शेष प्रहर में वृक्ष की अरु ध्वजा की छाया घर ऊपर पड़े, तो दुःखदायी है। अहंत के मंदिर के पीछे न वसे, ब्रह्मा और कृष्ण के पास न रहे, चंडिका और सूर्य के सन्मुख रहे नहीं, महादेव के तो किसी पासे भी न रहे । कृष्ण के वामे पासे अरु ब्रह्मा के दाहिने पासे न रहे । निर्माल्य, स्नान का पानी, ध्वजा की छाया, विलेपन वर्जे । जिनमन्दिर के शिखर की छाया अरु अहंत की दृष्टि होवे, तहां न वसे । तथा नगर अथवा गाम के ईशान कोण में घर न बनावे, बनावे तो ऊंच जातिवाले को दुःखदायी है।
घर बनावे, तो पूरा मोल देवे, पडोसी को दुःख न देवे,