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दशम परिच्छेद
३३३ हत्या करनेवाला, इतने लोक जेकर अपना भला चाहें, तो भी इनके पड़ोस में न रहे। क्योंकि इनकी संगति से गुणहानि प्रमुख अनेक उपद्रव होते हैं, इस वास्ते इनके पड़ोस में न रहे।
तथा मला स्थान वो होता है कि, जहां हड्डी का शल्य व होवे, राख न होवे, जहां डाभ उगती होवे, मला वर्ण, गन्दवाली मिट्टी होवे, मीठा जल होवे, खोदते धन निकले, वो जगा शुभ है। तथा जो भूमि शीतकाल में उष्ण स्पीवाली होवे, अरु उष्णकाल में शीत स्पर्शवाली होवे, वो जगा बहुत शुम है। एक हाथ मात्र भूमि पहिले खोद के फिर तिस मट्टी से पीछे वो खाड़ा भरे । जेकर मट्टी अधिक रहे, तो श्रेष्ठ भूमि जाननी, अरु जो मट्टी वराबर रहे, तो समान भूमि जाननी. अरु मट्टी ओछी हो जाये तो नेष्ट भूमि जाननी । तथा सौ पग चले, इतने काल में निर भूमिका में पानी न सूखे, सो उत्तम भूमि जाननी । अरु जेकर सौ पग चले, इतने काल में एक अंगुली भर पानी शोष होवे, तो मध्यम मूमि जाननी, अरु एक अंगुली के भी उपरांत पानी सूखे, तो अधम भूमि जाननी । तथा पक्षांतर में जिस भूमि के खात में फूल गेरें, वो फूल जेकर सूखे नहीं, तो उत्तम भूमि जाननी, अर्द्ध सूखे, तो मध्यम भूमि जाननी, अरु सर्व सूख जावे, तो अधम भूमि जाननी तथा जिस भूमि में ब्रीहि बोई हुई