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दशम परिच्छेद
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बीलूक फल, चीभड़ा चीभड़ी, कयर, कर्मदा, भोरड, निंबू, आंवली, अथाणा - आचार तथा अंकुरे हुए नाना प्रकार के फूल, पत्र, सचित, बहुवीजा, अनंतकाय, इतनी वस्तु वर्जे । तथा विगय अरु विगयगत का परिमाण करे । तथा वस्त्र धोने का, लीपने का, हल वाहने का, स्नान की वस्तु का परिमाण करे । तथा खण्डना, पीसना, इत्यादिक का परिमाण करे । झूठी साख न देवे । तथा पानी में कूदना अरु अन रांधने का परिमाण करे । व्यापार का परिमाण करे । चोरी का त्याग करे । तथा स्त्री के साथ संभाषण करना, स्त्री को देखना त्यागे । तथा अनर्थदण्ड त्यागे । सामायिक, पौषध करे, अतिथिसंविभाग करे, इन सर्व वस्तुओं का प्रतिदिन परिमाण करे । तथा जिनमन्दिर को देखे, तथा जिनमन्दिर की वस्तु की सारसंमाल करे। पर्व में तप करे, उजमने करे, धर्म के वास्ते मुखवस्त्रिका अरु पानी का छलना देवे, तथा औषधी देवे । साधर्मिवत्सल यथाशक्ति से करे । गुरु की विनय करे। मास मास में सामायिक करे, वर्ष में पौषध करे |
अथ श्रावकों का वर्षकृत्य द्वादश द्वारों करी लिखते हैं । प्रथम संघपूजा करे, स्वद्रव्यकुलादि के वर्षकृत्य — अनुसार बहुत आदरमान से साधु साध्वी योग्य निर्दोष वस्त्र, कंवल, पूंछना, सूत, ऊन, पानी का पात्र, तुंबकादि, दंड, दंडिका, सूई,
संघपूजा