________________
नवम परिच्छेद
૨૭૨ के साथ अकाल में चले नहीं। तथा महिप, गर्दभ, अरु गौ, इन की सवारी न करे । तथा हाथी से हज़ार हाथ, गाडे से पांच हाथ अरु घोडे तथा सींगवाले जनावरों से भी पांच हाथ दूर रहे। तथा खरची विना रस्ते में न चले। बहुत सोवे नहीं । रस्ते में किसी का विश्वास न करे। अकेला किसी के घर में न जावे । जीर्ण नाव पर चढे नहीं । एकला नदी में प्रवेश न करे। कठिन जगा में उपाय बिना न जावे । अगाध पानी में प्रवेश न करे । जहां बहुते क्रोधी हो, अरु बहुते सुखों के इच्छुक होवे, तथा जहां घणे सूम; हो; ऐसे साथ के साथ कदापि परदेश में न जावे । तथा वांधने के, मरने के, जूआ खेलने के, पीड़ा के, खजाने के, अंतेउर के स्थान में न जावे। तथा बुरे स्थान में, श्मशान में, शून्यस्थान में, चौक में, सूखे घास में, कूड़े में, ऊंची नीची जगा में, उकलडी में, वृक्षाय में, पर्वतान में, नदी के कांठे में, कूप के कांठे में, बैठे नहीं। तथा जो जो कृत्य जिस जिस काल में करना है, सो करे, परन्तु छोडे नहीं।
तथा पुरुष को जो भले वस्त्रादि पहरने का आडंबर चाहिये सो न छोडे । परदेश में तो विशेष करके आडम्बर नहीं छोड़ना, क्योंकि आडम्बर से अनेक कार्य सिद्ध हो जाते हैं। तथा जो कार्य करना हो सो पंचपरमेष्ठिस्मरणपूर्वक तथा गौतमादि गणधरों का नामग्रहणपूर्वक करे । तथा देव गुरु की भक्ति के वास्ते धन की कल्पना करे । क्योंकि