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नवम परिच्छेद
૨૬૩ तिलक करे । १७. नव अंग में नव तिलक करके निरंतर पूजा करे। १८. सवेरे पहिले वास पूजा करे। १९. मध्याह में फूलों से पूजे । २०. संध्या को धूप, दीप करके पूजा करे । २१. जो फूल हाथ से धरती में गिर पडे, तथा पगों को लग जावे, तथा जो मस्तक से ऊंचा चला जावे, तथा जो मैले वस्त्र में रक्खा होवे, तथा जो नामि से नीचे रक्खा होवे, तथा जो दुष्ट जनों ने स्पर्शा होवे, जो बहुत ठिकानों-स्थानों में हत होवे, जो जीवों ने खाया होवे, ऐसे फूल, फल, भक्त जनों ने जिनपूजा में नहीं रखना । २२. एक फूल के दो टुकडे न करे। २३. कली को छेदे नहीं। चंपक, उत्पल, फूल के भांगने बड़ा दोष है। २४. गंव, धूप, अक्षन, फूलमाला, दीपक, नैवेध, पानी, प्रधान फल, इनों करके जिनराज की पूजा करे । २५. शाति कार्य में श्वेत वस्त्र पहिर के पूजा करे। २६. द्रव्यलाभ के वास्ते पीत वस्त्र पहिर के पूजा करे। २७. शत्रु को जीतने के वास्ते काले वस्त्र पहिर के पूजा करे । २८. मांगलिक कार्य के वास्ते लाल वस्त्र पहिर के पूजा करे । २९. मुक्ति के वास्ते पांच वर्ण के वस्त्र पहिर के पूजा करे। ३०. शांति कार्य के वास्ते पञ्चामृत का होम, दीवा, घी, गुड़, लवण का अग्नि में प्रक्षेप, शांति पुष्टि के वास्ते जानना । ३१. फटा हुआ, जोड़ा हुआ, छिद्रवाला, काटा हुआ, जिस का भयानक रक्त वर्ण होवे, ऐसे वस्त्र पहिर के दान, पूजा, तप, होम अरु सामायिक प्रमुख करे, तो