________________
जैनतस्वादर्श
दातन,
तथा पानी में
यन, सौंफ, सोभा, राई, खसखस प्रमुख चित्त और सर्व कण, सर्व पत्र, सर्व हरे फल, तथा अचित्त वस्तु लूण, खारी, खारक अर्थात् छुहारे, रक्तलाल रंग का सेंघा लूण, खान का सौंचल लूण, खारा, मट्टी, खरी, हिरमची, हरी इत्यादि, ये सर्व व्यवहार से सचित्त-सजीव हैं । भिंजोये हुए चने, गेहूं आदि अन्न, तथा चने, तुअर प्रमुख की दाल, जिस में नक्कू रह गया मिश्र हैं । तथा पहिले लूण लगाये विना, अग्नि की बाष्पादि दिये बिना और तप्त बालु - रेत के गेरे विना चने, गेहूं, जुवारादि मूंजे, तथा खारादि दिये बिना मसले हुये तिल, होलां, ऊंबियां, सिट्टे, पहुंक, ईषत् सेकी फली; मिरच, राई, हींग प्रमुख करके वधारे चिर्मटादि फल तथा जिसके अन्दर बीज सचित हैं, ऐसे पके हुये सर्व फल; यह तिलवट - तिलकूट जिस दिन करे उस दिन
मूंग, उड़द, होवे, ये सर्व
सब मिश्र हैं । तथा
मिश्र है । अरु
तो एक मुहूर्च
देशों में बहुत
जेकर तिलों में अन्न - रोटी प्रमुख गेरके कूटे, पीछे अचित्त होवे । तथा दक्षिण मालवादि गुड़ प्रक्षेप करने से उसी दिन अचित हो जाते हैं । तथा वृक्ष से तत्काल का उखड़ा हुआ गूंद, लाख, छिल्लक, तत्काल का फोड़ा हुआ नारियल तथा निंबू, दाडिम, अनार, अंब, नींब, ईख, इन का तत्काल का काढ़ा हुआ रस, तथा तत्काल का काढ़ा हुआ तिलादि का तेल, तत्काल का भांग्या हुआ बीज,
१७६