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नवम परिच्छेद के प्रभाव से । इन में आदि के छ कारणों से जो स्वम आवे, सो निरर्थक है, अरु अगले तीन कारणों से जो स्वप्न आके तो सत्य होता है। ___रात्रि के पहिले पहर में स्वप्न आवे, तो एक वर्ष में फल देवे, अरु दूसरे पहर में स्वप्न आवे, तो छ महीने में फल देवे, तीसरे पहरमें स्वप्न आवे, वो तीसरे महिने में फल देवे, चौथे पहर में स्वप्न आवे, तो एक मास में फल देवे, सवेरो दो घड़ी रात्रि में स्वप्न आवे, तो दस दिन में फल देवे, सूर्योदय में स्वप्न आवे, तो तत्काल फल देवे।।
१. जो स्वप्न में बहुत आल जंजाल देखे, २. जो रोगोदय से स्वप्न आवे, तथा ३. जो मलमूत्र की वाधा से स्वप्न आवे, यह तीनों स्वप्न निरर्थक हैं। जेकर पहिले अशुम स्वप्न आवे, अरु पीछे से शुभ स्वप्न आवे, तो शुभ फल देवे । तथा पहिले शुभ स्वप्न आवे, पीछे अशुम आवे, तो अशुभ फल देवे । जेकर खोटा स्वप्न आवे, तो शांति अर्थात् देवपूजा दानादि करना । तथा स्वप्नचिंतामणि नामक ग्रन्थ में भी लिखा है कि, अनिष्ट स्वप्न देख कर सो जावे, अरु किसी को कहे नही; तो फिर वो स्वप्न, फल नहीं देता है। सोते उठ कर जिनेश्वरदेव की प्रतिमा को नमस्कार करके जिनेश्वर का ध्यान करे, स्तुति करे, स्मरण करे, पंचपरमेष्ठी मन्त्र पढ़े तो खोटा स्वप्न वितथ हो जाता है। अरु जो पुरुष देव, गुरु की पूजा करते हैं, तथा निजशक्ति के अनुसार