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नवम परिच्छेद
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चले, तो पंदरा दिन तक आनंद आरोग्य रहे, अरु कृष्ण पक्ष की एकम के दिन जेकर दक्षिण नासिका का स्वर वहे, तो पंदरा दिन तक सुख आनन्द रहे। इस से विपर्यय हो, तो विपर्यय फल होवे |
ऐसे ही क्रम से पंदरां की पड़वा के दिन से स्वर चले तो शुभ है, तक वाम स्वर चले तो स्वर चले तो शुभ है, चन्द्रस्वर में सूर्य उगे शुभ है। तथा सूर्यनाड़ी में अस्त होवे, तो भी शुभ है मंगल, गुरु, अरु शनि, इन चार वारों में दक्षिण स्वर में तो शुभ है; अरु सोम, बुध तथा दिन सोते, उठते चन्द्रस्वर - वामस्वर
तथा शुक्ल पक्ष के प्रथम तीन दिन बामी नासिका सवेरे उठते वहे, तो शुभ है, अगले तीन दिन दक्षिण स्वर चले तो शुभ है, फिर अगले तीन दिन वाम स्वर चले तो शुभ है, दिन तक जान लेना । अरु कृष्ण पक्ष ले कर जेकर तीन दिन तक दक्षिण अगले चौथे दिन से ले कर तीन दिन शुभ है, फिर अगले तीन दिन दक्षिण ऐसे पंदरां दिन तक जान लेना । तथा अरु सूर्यस्वर में सूर्य अस्त होवे तो सूर्य उदय होवे अरु चन्द्रनाड़ी में
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किसी शास्त्र के मत में रवि,
सूर्यनाड़ी दिन उगते चले, शुक्र, इन तीनों वारों के चले, तो शुभ है; विपर्यय चले, तो अशुभ है।
तथा किसी के मत में संक्रांति के क्रम से सूर्य, चन्द्रनाड़ी वहे तो शुभ है । जैसे मेष संक्रांति के दिन सूर्यस्वर चले, अरु वृषसंक्रांति के दिन चन्द्रनाड़ी चले, तो शुभ जाननी,