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नवम परिच्छेद
नवम परिच्छेद इस परिच्छेद में श्रावक के छे कृत्यों [दिनकृत्य, रात्रिकृत्य,
पर्वकृत्य, चातुर्मासिककृत्य, संवत्सरकृत्य, श्रावकदिनकृत्य जन्मकृत्य, यह छ प्रकार के कृरय हैं।]
में से प्रथम दिनकृत्य विधि, श्राद्धविधि ग्रन्थ तथा श्रावककौमुदी शास्त्र के अनुसार लिखते हैं। प्रथम तो श्रावक को निद्रा थोड़ी लेनी चाहिये । जब
___ एक प्रहर रात्रि शेष रहे, तब निद्रा छोड़ के जागने की विधि उठना चाहिये । जेकर किसी को बहुत नींद
आती होवे, तब जघन्य चौदमे ब्राह्म मुहूर्त में तो ज़रूर उठना चाहिये। क्योंकि सवेरे उठने से इस लोक अरु परलोक के अनेक कार्य सिद्ध होते हैं। उस अवसर में वुद्धि टिकी हुई अरु निर्मल होती है। पूर्वापर का अच्छी तरे से विचार कर सकता है। तथा ग्रन्थकार ऐसे भी कहते हैं कि, जिस के नित्य सोते हुए के सूर्य उग जावे, तिसकी आयु नल्प होती है, इस वास्ते ब्राह्म मुहूर्त में अवश्य उठना चाहिये । जब सोता उठे, तब मन में विचारे कि-मैं श्रावक हूं, अपने घर में तथा परघर में, इन दोनों में से कहां सोया था ! तथा हेठले मकान में सोया था कि चोबारे प्रमुख में सोया था ! दिनमें सोया था कि रात्रि को सोया था ! इत्यादि विचार करते भी जेकर निद्रा का वेग न मिटे तो नाक