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अष्टम परिच्छेद कच्चा रूपा, तिस के तोल का परिमाण करे। ___छट्ठा सुवर्णपरिग्रहपरिमाण व्रत-सो बिना सिके का सोना, तिस के तोल का परिमाण करे। ___सातमा कुप्यपरिग्रहपरिमाण व्रत-सो त्रांबा, पीतल, रांगा, कांसा, सीसा, भरत, लोहा प्रमुख सर्व धातु के बरतनों के तोला का परिमाण करे। ___ आठमा द्विपदपरिग्रहपरिमाण व्रत-सो दासी, दास, अथवा पगारदार-गुमास्ता प्रमुख रखना, तिन की गिनती का परिमाण करे। __नवमा चतुष्पदपरिग्रहपरिमाण व्रत-सो गाय, महिषी, घोड़ा, बलद, बकरी, भेड़ प्रमुख, तिन की गिनती का परिमाण करे। ___अथ अपनी इच्छा परिमाण से परिग्रह किस तरे रक्खे ! सो कहते हैं। रूपा घड़ा हुआ अरु अनघड़ा तथा नगद रूपक इतना रक्खू, तथा सोना भी घड़ा अनघड़ा अशरफ़ी तथा जवाहिर इतना रक्खू, इस रीति से परिमाण करे । उपरांत पुण्योदय से धन वधे, तो धर्मस्थान में लगावे । तथा वर्ष भर में इतने, इस भांत के वस्त्र पहिरूं। तथा एक वर्ष में इतना अन्न में घर के खरच के वास्ते रक्खू, अरु इतना वणिज के वास्ते रक्खू । तिस का स्वरूप सातमे व्रत में लिखेंगे। तथा क्षेत्रपरिमाण में क्षेत्र, वाड़ी, बगीचा प्रमुख सर्व मिल कर इतने वीधे धरती रक्खूगा। तथा घर,