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श्री कस्तूरचन्दजी जैन, अकोला. पावू के मन्दिरो का टैक्स विलकुल बन्द होना चाहिए। इसका पूरा आन्दोलन प्राप करेंगे। अगर इस दशा-मै सत्याग्रह हो तो मेरा नाम सबसे पहले लिखिए। श्री प्रतापमलजी सेठिया, मदसौर
+ , आपकी कान्फ्रेंस की सफलता चाहता हूँ। श्री धनराजजी तातेड़, सिरोही
. पावू के मन्दिरो के ऊपर टैक्स धर्म के ऊपर अत्याचार के समान है और यह खामतौर से हिन्दुस्तानी के लिए है। ऐसे टैक्स के विरोध में बडा भारी आन्दोलन चलाना हम जनो का ही.सिर्फ धर्म नहीं बल्कि हर एक हिन्दुस्तानी का फर्ज है। उम्मेद है कि कान्फ्रेस प्रान्दोलन के मङ्गल मुहूर्त के समान होगी। श्री कुन्दनलालजी जैन, भरतपुर। कान्फ्रेंस की सफलता के लिए कामना करता हूँ और कान्स द्वारा बतलाई गई किसी भी प्रकार की सेवा के लिए प्रस्तुत हूँ। श्री, पण्डित शोभाचन्द्रजी भारिल्ल
दुःख है कि मै कान्फ्रेंस के समय वहा उपस्थित नही रह सकूगा। कान्फ्रेंस के प्रति मेरी हार्दिक सहानुभूति है। इस कार्य को ऐसे लोगो ने उठाया है कि जिसकी सफलता मे कोई सन्देह नहीं किया जा सकता। जैन समाज का प्रथम धर्म है कि वे इस कलक को हटाने में अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दे। श्री चन्दनमलजी, कोचर आष्टा
मुझे दुःख है कि मैं कान्कस में सम्मलित नहीं हो सकूगा । सिरोही स्टेट द्वारा लगाए गए कलकित टैक्स को हटाने सम्बन्धी हर प्रान्दोलन में समाज आपका पूरा साथ दे, यही प्रार्थना है।
प्रादू टैक्सविरोधी आन्दोलन चलता रहा। फिर १९४२ मे राष्ट्रीय प्रान्दोलन के कारण वन्द करना पड़ा। देश के स्वतंत्र होने पर महारानी सिरोही ने जनता की आवाज पर ध्यान दिया और इस कलक को सदा के लिए धो डाला। उन्होने घोषणा को और मदा के लिए इमे हटा दिया । इसका विस्तृत विवरण अगले पृष्ठों में विस्तार मे दिया है।
लालाजी मस्वस्थ होने पर भी सामाजिक कार्यों में रुचि रसते रहे और गणित-अनुमार सामाजिक और राष्ट्रीय कार्यों मे अग्रसर होते रहे ।
शाकाहारी आन्दोलन और अध्यात्म समाज की स्थापना उनी ममय उन्होंने को जिसका विवरण प्रगले पृष्ठो पर दिया है।