________________
७ बुनियादी तालीम-बुनियादी तालीम हिन्दुस्तान के तमाम बच्ची को, वे गावो के रहने वाले हो या बहरो के, हिन्दुस्तान के सभी श्रेष्ठ तत्वो के साथ जोड देती है। यह तालीम वालक के मन और शरीर दोनो का विकास करती है।
८. प्रौढ़-शिक्षा-बड़ी उम्र के अपने देशवासियो को जवानी यानी सीधी बातचीत द्वारा सच्ची राजनैतिक शिक्षा दी जाय ।
९. स्त्रियां-स्त्री को अपना मित्र या साथी मानने के बदले पुरुप ने अपने को उसका स्वामी माना है । काग्रेस वालो का यह खास कर्तव्य है कि वे हिन्दुस्तान की स्त्रियो को इस गिरी हुई हालत से हाथ पकड़कर ऊपर उठावे।
१० आरोग्य के नियमो जी शिक्षा- हमारे देश की दूसरे देशों से वढी-चठी मृत्युसंख्या का ज्यादातर कारण निश्चय ही वह गरीवी है, जो देशवासियों के शरीरो को कुरेदकर खा रही है, लेकिन अगर उनको तन्दुरुस्ती के नियमो की ठीक-ठीक तालीम दी जाय तो उसमे बहुत कमी की जा सकती है।
जब वीमार पडे तब अच्छे होने के लिए अपने साधनो की मर्यादा के अनुमार प्राकृतिक चिकित्सा करें।
११ प्रान्तीय भाषाएं - हिन्दुस्तान की महान् भापायो की अवगणना की वजह से हिन्दुस्तान को जो वेहद नुकसान हुआ है, उसका कोई अन्दाजा हम नहीं कर सकते ।...'जव तक जन-साधारण को अपनी वोली मे लडाई के हर पहलू व कदम को अच्छी तरह से नहीं समझाया जाता तब तक उनसे यह उम्मीद कैसे की जा सकती है कि वे उसमे हाथ वटावे ।।
१२ राष्ट्रभाषा-समूचे हिन्दुस्तान के साथ व्यवहार करने के लिए हमको भारतीय भाषामो मे से एक ऐसी भापा की जरूरत है, जिसे आज ज्यादा-से-ज्यादा तादाद में लोग जानते और समझते हो और बाकी के लोग जिने झट सीख सकें, और वह भाषा हिन्दी (हिन्दुस्तानी) ही हो सकती है।
१३ आर्थिक समानता--प्रार्थिक समानता के लिए काम करने का मतलब है पूजी और मजदूरो के बीच के झगड़ो को हमेशा के लिए मिटा देना। अगर धनवान लोग अपने धन को और उसके कारण मिलने वाली सत्ता को जुद राजी खुशी से छोडकर और सबके कल्याण के लिए सबो के मिलकर बरतने को तैयार न होगे तो यह तय समझिये कि हमारे मुरक मै हिसक और खूखार क्रान्ति हुए विना नहीं रहेगी।
१४ किसान-स्वराज्य की इमारत एक जवस्दस्त चीज है, जिन बनाने में अस्मी करोड़ हाथो का काम है । इन बनाने वालो मे किसानो की तादाद सबसे बडी है। सच तो यह है कि स्वराज्य की इमारत बनाने वालो मे ज्यादातर (करीब ८० फी-सदी) वे ही लोग है, इसलिए असल मे किसान ही काग्रेस है, ऐसी हालत पैदा होना चाहिए।
१५ मनदूर-अहमदावाद के मजदूर-सघ का नमूना नमूचे हिन्दुस्तान के लिए अनुकरणीय है, क्योकि वह गुद्ध अहिंसा की बुनियाद पर खड़ा है।" मेरा वस चने तो
[ ३२६