________________
जो खुद मेहनत न करे, उन्हे-खाने का हक ही क्या है?
१०. सर्वधर्म समभाव-जितनी इज्जत हम अपने धर्म को करते है, उतनी ही इज्जत हमें दूसरोके धर्स की भी करनी चाहिए । जहाँ यह वृत्ति है, वहाँ एक-दूसरे के धर्म का विरोध हो ही नहीं सकता, न.परधर्मी को अपने धर्म में लाने की कोशिश ही हो सकती है, बल्कि हमेशा प्रार्थना यही की जानी चाहिए कि सब धर्मो मे पाये जाने वाले दोष दूर हो।
११. स्वदेशी अपने आस-पास रहने वालो की सेवा मे श्रोत-प्रोत हो जाना स्वदेशी-धर्म है। जो निकट वालो की सेवा छोड़कर दूर।वालो की सेवा करने को दौडता है, वह स्वदेशी को भग करता है।
रचनात्मक कार्यक्रम
(गांधीजी के शब्दो में) रचनात्मक कार्यक्रम को सत्य और अहिंसात्मक साधनो द्वारा पूर्ण स्वराज्य की स्वना कहा जा सकता है । .... उसके एक-एक अग पर विचार करे।
१ कौमी एकता-एकता का मतलब सिर्फ राजनैतिक एकता नही है"सच्चे मानी तो • है वह दिली दोस्ती जो तोडे न टूटे । इस तरह की एकता पैदा करने के लिए सबसे पहली जरूरत इस बात की है कि कांग्रेसजन, वे किसी भी धर्म के मानने वाले हो, अपने को हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी, यहूदी, सभी कौमो का नुमाइदा समझे।
२. अस्पृश्यता निवारण-हरिजनो के मामले मे तो हरेक-हिन्दू को यह समझना चाहिए कि हरिजनो का काम उसका अपना काम है।
३. मद्य-निशेष-अफीम, शराब, वगैरा चीजो के व्यसन मे फंसे हुए अपने करोडो भाईबहनो के भविष्य को सरकार की मेहरवानी या मरजी पर झूलता नहीं छोड़ सकते।"इन व्यसनो के पजे मे फंसे हुए लोगो को छुड़ाने के उपाय निकालने होगे।
४. खादी-खादी का मतलब है देश के सभी लोगो की आर्थिक स्वतन्त्रता और 'समानता का आरम्भ । 'खादी मे जो चीजे समाई हुई है, उन सब के साथ खादी कने-अपनाना चाहिए । खादी का एक मतलब यह है कि हम में से हरेक को सम्पूर्ण स्वदेशी की भावना बढ़ानी और टिकानी चाहिए।
५.दूसरे ग्रामोद्योग-हाथ से पीसना, हाथ से कूटना और पछोरना; साचुन बनाना, कागज बनाना, दियासलाई वनाना, चमड़ा कमाना, तेल पेरना और इस तरह के दूसरे सामाजिक जीवन के लिए जरूरी और महत्व के-धन्यो के बिना गावो की आर्थिक रखना सम्पूर्ण नही हो सकती।
६.. गांवो की सफाई- देश में जगह-जगह सुहावने- और मनभावने, छोटे-छोटे गावो के -बहले हमे धूरे-जैसे गाव देखने को मिलते है।" : हमारा फर्ज हो जाता है कि गावो को सब तरह से सफाई के नमूने बनावे । R ]