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गुरु दत्तात्रेय भगवान ने प्रावू के सर्वोच्च शिखर गुरु युग को अपने पावन चरणो से पवित्र किया । गुरु शिखर नाम और गुफा मे गिला पर अकित चिह्न आज भी गुरु दत्तात्रय की स्मृतिस्वरूप आबू पर विद्यमान है । प्रतापी पाण्डवो के भी बनवासकाल मे कुछ समय रहने का पता हमे आबू पर्वत पर मिलता है। पाण्डव गुफाएं और भीम गुफाएं आज भी उनके नाम से प्रसिद्ध है। राजा नल की गुफा अचानक उस विदर्भ सम्राट की याद दिलाती है जिसने जुए मे राजपाट हार कर मुकुमारी दमयन्ती समेत वन-वन भटकना पड़ा जिसे चक्रवर्ती सम्राट हरिश्चन्द्र अपनी रानी शैव्या और पुत्र रोहिताश्व के साथ नगे पाव भटकते हुए प्रावू की गान्तिदायिनी उपत्यकामो मे गरण लेने से नहीं चूके। हरिश्चन्द्र गुफा पाज भी उनके नाम से प्रावू पर्वत पर विख्यात है।
नन्दिवर्धन की स्थापना के बाद तो प्रावू का सौन्दर्य और भी बढ गया। प्राचीनकाल मे कितने ही नपस्वियो ने यहा अपनी तप-साधनाएं सफल की। यहा के एकान्त प्राकृतिक सौन्दर्य मे उन्हें अपूर्व आत्ममुख और गान्ति मिलती थी। आज भावू पर जो पुण्य स्मृति-चिह्न पाये जाते है उनमे गुरु शिखर पर हमें गुरु दत्तात्रय का आश्रम मिलता है जहाँ उनके चरण चिह्न प्राज भी विद्यमान है । प्रतापी पाण्डवो ने भी आबू पर्वत पर निवास किया, उनकी रमणीय गुफाएं आज भी प्रावू मे देखने योग्य हैं ।
राजा नल की गुफामे जुए मे राजपाट हारे हुए उस विदर्भ सम्राट की याद दिलाती है जिसे रानी दमयन्ती समेत बन-बन ठोकरें खानी पड़ी।
उस पापकाल मे आबू के अचल में उन्होने अपनी कुछ दुर्भाग्य भरी रातें बिताई । ब्राह्मण को अपना राजपाट देकर दक्षिणा के चक्कर मे भटकते हुए राजा हरिश्चन्द्र भी दुर्दिनो मे पाबू को उपत्यका मे शरण लेने से न चूके ।
पौराणिक काल को छोडकर जब हम ऐतिहासिक काल में आते हैं तो प्रावू का इतिहास हमे राजपून नरेशो की वीरता और उनके पराक्रम से रजित दिखाई देता है । शहाबुद्दीन गोरी ने यही पाबू की घाटियो मे शिकस्त खाई थी। कितनी ही ऐतिहासिक लडाइयां आबू के अचल मे लड़ी गई थी। उनकी स्मृतियो के अनेको चिह्न हमे प्रावू मे दिखाई देते है। राजपूताने और मारवाड के समस्त क्षत्रिय राजामो के लिए प्राबू आकर्षण का केन्द्र रहा है। इसमे कोई सन्देह नही कि जहा ऋपियो और तपस्वियो ने भाव की गिरि-कन्दराओ मे अपनी योग-साधनाएं सफल की, वहा इन वीर क्षत्रिय नरेशो के लिए आव ग्रीष्मकाल मे अनोखा गान्ति-निवाम रहा है।
तुम पथिक बनकर पथ पर चलो, लेकिन पथ पर कब्जा मन करी | पथ पर चलो पर पथ के नाम पर वडी-बड़ी अट्टालिकाएं और महल खडे मत करो।
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