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वात्सल्य की मूर्ति
सर्वश्री विदुषी बहिन लेखवती जैन डिप्टी चेयरमैन पजाव विधानसभा, चण्डीगढ़
विदुषी वहिन लेखवतीजी जैन आजकल | पजाब विधानसभा की उपाध्यक्ष है। देश और समाज सेवा के भाव उनमें कूट कूट कर भरे हुए हैं। वात्सल्य का नैसर्गिक माधुर्य, प्रबन्ध कुशलता और नारी जाति मे जागृति का भाव पैदा करना इन कार्यों में उनकी स्वाभाविक रुचि है। जैन परिपद् की एक कुशल कार्यकर्तृ होने के कारण उन्होने समाज को उत्तम सेवा की है। पावू टैक्स विरोधी आन्दोलन मै लालाजी के साथ रहकर जो प्रशसनीय नेतृत्व दिखाया समाज उसे सदैव गौरव के साथ याद रखेगी। देश और समाज को आपसे भविष्य मे घडी आशायें है।
आँखो में प्रासू एव हाथ में लेखनी लेकर स्वर्गीय भाई तनसुखराय की स्मृति में प्रकाशित होने वाले, तनसुखराय जैन स्मृति-ग्रन्थ मे कुछ लिखने का प्रयास कर रही हूँ। (भाई तनसुखराय समाज-सेवा तथा देश-मेवा के लिए जब निकलते, उनके साथ जीवन की एक लहर-सी दौड पड़ती थी। उनके सभा सोसाइटियो में पहुंचते ही जनता मे जागृति की लहर दौड़ पडती थी।) लेखनी किंकर्तव्य विमूढ बनी हुई सी सोच रही है कि उनके जीवन की कौन-कौन सी सेवाओ का वर्णन करू । भाई तनसुखरायजी ने अपने जीवन-काल मे देशसेवा के साथ साथ जो समाज-सेवायें की उसको वैश्य जाति, जैन समाज तथा देश की जनता भुला नही सकती है। कुशल व्यवसायी होने पर भी मापने उद्योग को प्राथमिकता न देकर सामाजिकता को प्रथम स्थान प्रदान किया। इनके जीवन का यह सर्वश्रेष्ठ त्याग था।
उनके सामाजिक कार्यों में आपके साथ रहने का मुझे भी अवसर मिला। जैन समाज, अग्रवाल एवं वैश्य समाज के लिए अनेक कार्य किये। इन सभी कार्यों में से यदि मै अखिल भारतीय दिगम्बर जैन परिषद की सफलता, उसके कार्य, सफल अधिवेशन, जैन जाति मे जागृति उत्पन्न करने वाले आन्दोलनो आदि के विषय मे ही कुछ लिखू या उनकी याद करूँ, वही मेरे लिए पर्याप्त होगा। सतना, खण्डवा, झांसी और दिल्ली के सम्मेलन मेरी आंखो के सामने हुए।