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उपदेशामृत
कर्म तू जैसा करेगा वैसा साथ अपने कुछ न लाया है
फल
न ले
जव मिटाकर अपनी हस्ती सुर्मा ग्रहले आलम की निगाहो मे समा जाएगा
वन जाएगा तू ।
वुल्ल' सेकारू शिफत क्या खाक फल पाएगा तू । साथ दौलत के जमी मे दफन हो जाएगा तू ॥३॥
६
चार दिन की जिन्दगी पर मुश्ते खाक नशे बातिल की तरह दुनिया से
पाएगा तू ।
जाएगा तू ॥ १ ॥
इक तेरे ऐमाल ही जायेंगे तेरे साथ-साथ । और क्या इसके सिवा दुनिया से ले जाएगा तू ॥४॥
प्राखिरत की लाज गर चाहे तो नेकी मालोदौलत सब यही पर छोड कर
१ कंजूस २ खजाना ३ तरह ४ गडना म दोस्त ६ फना होने वाली दुनिया ।
तू ॥२॥
जैसी करनी वैसी भरनी यह मसल काम गर अच्छा करेगा अच्छा फल
०००
इतना गरूर । मिट जाएगा तू ॥१५॥
ये जो है महवाब तेरे सब बनी के यार है । दारे फानी से अकेला ही फकत जाएगा तू ॥७॥
कर सदा । जाएगा तु ॥ ६॥
दौलतो हशमत मे हरगिज 'दास' मत कीजो घमंड | श्रालमे फानी से खाली हाथ ही जाएगा
॥९॥
मशहूर है ।
पाएगा हू ||५||
५ कर्म ६ मुट्ठी भर ७ मिट्टी के पुतले, बुलबुले
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