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हमारी हस्ती
अबम' अपनी हस्ती पै फूला हुआ है।
जिएगा हमेशा न कोई जिया है ॥१॥ है दो माम पर जिन्दगानी वार' की। कि एक आ रहा दूसग जारहा है ॥२॥
किए जा किए जा भलाई किए जा।
कि स्तवा भलाई का सबमे बड़ा है ।। तेरे कर्म ही तुमको कर देंगे स्वा। मगन अपने दिल मे नू क्या हो रहा है ॥४॥
न मानूम कव कूब हो जाए तेरा ।
गनीमत समझ मास जो आ रहा है ॥५॥ न दुनियाए हूँमें कभी दिल लगाना । कि इसकी मोहलत नवैदे जा है ॥३॥
फना हो न, जिनको मिले वो मसरंत ।
यही दिल का मतलब यही मुद्दा है || महावीर भगवान ने दिल लगायो । कि पापो का अपना यही खू बहा है ||
मिटाये से ऐ 'दार' क्योकर मिटे वो। मुकहर में अपने जो लिक्खा हुआ है III
जन-धर्म सर्वथा स्वतन्त्र है । मेरा विश्वास है कि वह किसी का अनुकरण नहीं है। और इसलिए प्राचीन भारतवर्ष के तत्व बान का, धर्म पद्धति का अध्ययन करने वालो के लिए वह बड़े महत्व की वस्तु है।
-डा. हमन नकोबी
१व्यर्थ २ इन्सान । ३ वदनाम ४ कमीनी ५ पैगाम ६ मौत ७ मिटना ८ खुशी ६ प्रायश्चित २०४ ]