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________________ राजपूताने के जैनचौर क्रमशः मिलते हैं । इस जमीन में ३०, १८६ और खालसा ४८३० वर्गमील है। क्षेत्रफल के लिहाज से मारवाड़-राज्य तमाम चौथाई हिस्से से भी अधिक विस्तार में फैला हुआ है। यह अफ्रीका के नेटाल देश से कुछ छोटा किन्तु यूरोप के स्काटलेण्ड, आयरलेण्ड या पुरुतगाल से बड़ा है। भारतवर्ष के निज़ाम हैदराबाद, और काश्मीर राज्यों को छोड़कर इसका विस्तार अन्य सव देशी राज्यों से बड़ा है।। . माखाड़-प्रदेश अपने यथा नाम तथा गुण के अनुसार अनउपजाऊ, रेतीला और बझड़ है। मारवाड़ में वर्षा बहुत कम होती है, पानी की बड़ी तकलीफ रहती है। अधिकाँश जमीन की सिंचाई कुओं के जरिये होती है। बारह महिने लगातार बहने वाली यहाँ एक भी नदी या नहर नहीं है। इस प्रदेश में इधर-उधर बिखरे हुये अनेक पहाड़ हैं । यहाँ की आवोहवा खुश्क है किन्तु तन्दुरस्ती के लिये बहुत लाभदायक है। मारवाड़-राज्य की वर्तमान राज्यधानी जोधपुर में है, जो राठौड़ राजपूत जोधाजी ने जेठ सुदी ११ वि० सं० १५१६ शनिवार तदनुसार १२ मई सन् १४५९ ई० को परानी राजधानी मंडोर से ५ मील दूरी पर बसाया था। मारवाड़ राज्य को इसी से जोधपुर राज्य भी कहते हैं । मारवाड़ शब्द "मरुवार" का अपभ्रंश है, जिसको प्राचीन काल में 'मरुस्थान' भी कहते थे। मरुस्थान शब्द । .. + मारवाड़-राज्य का इति० पृ० १-२॥ .
SR No.010056
Book TitleRajputane ke Jain Veer
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAyodhyaprasad Goyaliya
PublisherHindi Vidyamandir Dehli
Publication Year1933
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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