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जैनशासन
कि इडो-आर्यन - इतिहासके अत्यन्त आरभ
इस निर्णयपर पहुँचते है कालमे जैनधर्मका उद्भव हुआ था ।
स्वामी विवेकानन्द ने कहा था 'Buddhism' is the rebelled child of Hinduism' बुद्धधर्म हिन्दूधर्मसे बगावत करनेवाला वच्चा है। 'भारतवर्षाचा धार्मिक इतिहास' नामक मराठी पुस्तकके लेखक श्री साने लिखते है " हे स्वामी विवेकानन्दाचे बुद्ध धर्मासवधी चे उद्गार जैनधर्मासही ततोतत व लागू पडतात " - "ये स्वामी विवेकानन्दके बुद्धधर्म सम्बन्धी उद्गार जैनधर्मके विषयमे पूर्णतया चरितार्थ होते ह ।" अभी काग्रेस कार्यकारिणीके एक उत्तरदायी सदस्यने भी जैनधर्मके विषय मे revolt religion' - क्रान्तिकारी धर्म कहकर अपना भाव व्यक्त किया था । निष्पक्ष इतिहासके उज्ज्वल प्रकाशमे इस सम्बन्धमे विचार करना उचित प्रतीत होता है ।
प्रोफेसर चक्रवर्ती मद्रासने वैदिक साहित्यका तुलनात्मक अध्ययन कर यह शोध की कि कमसे कम जैनधर्म उतना प्राचीन अवश्य है, जितना कि हिन्दूधर्मं । उनकी तर्कपद्धति इस प्रकार है । वैदिक शास्त्रोका परि शीलन हिंसात्मक एव अहिसात्मक यज्ञोका वर्णन करता है । 'मा हिंस्यात् सर्वभूतानि' 'जीव वध मत करो' की शिक्षाके साथ 'सर्वमेधे सर्वं हन्यात्' सर्वमेध यज्ञमे सर्वजीवोका हनन करनेवाली बात भी पाई जाती है। ऋग्वेद मे शुन क्षेपकी कथा आई है, उसमे अहिंसात्मक यज्ञ के समर्थक
१. Vide —Introduction Out lines of Jainism.' p. XXX to XXXIII
२ पं० जवाहरलाल नेहरूकी 'Discovery of Indie' नामक ! पुस्तकमें भी जैनधर्मके बारेमे इसी प्रकार भ्रान्त धारणाओ का दर्शन होता हैं । इस विषय में सत्यका दर्शन करनेके लिए जिज्ञासुत्रोको प्रख्यात व्यक्ति - यो वचन - मोहको छोड़कर प्रशात एव सक्रिय शोधक दृष्टिको सजग रखना होगा । कारण प्रकाशके नामपर अंधकारसे सत्य अधिक आवृत हुआ है।